न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में हालात अब और खराब होने लगे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक तरफ जहां अपने इस्तीफे पर अड़े हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने राहुल का इस्तीफे की पेशकश का नामंजूर कर दिया है।
गौरतलब है कि राहुल ने लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए पद से हटने का प्रस्ताव दिया था। मीटिंग के दौरान पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी के नेतृत्व पर भरोसा जताया और राहुल गांधी से पद पर बने रहने की अपील की।
वहीं, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से अपील की है कि वह पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा न दें, ऐसा करने से दक्षिण भारत के कांग्रेस कार्यकर्ता आत्महत्या कर लेंगे।
इन सब के बीच कांग्रेस में पहली बार वंशवाद के खिलाफ आवाज उठी है और ये आवाज खुद गांधी परिवार के चौथी पीढी के सदस्य और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उठाई है।
कांग्रेस के सूत्रों की माने तो चुनावों में हार के कारणों की समीक्षा के लिए बुलाई गई कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में राहुल ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से काफी नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने अपने बेटों के हितों को पार्टी हित से ऊपर रखा।
राहुल गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर अपने बेटों को टिकट दिलवाने के लिए जोर लगाने का आरोप लगाया। राहुल ने यह बात ज्योतिराजदित्य सिंधिया की उस टिप्पणी पर कही, जिसमें सिंधिया ने कहा था कि पार्टी को स्थानीय नेताओं को तैयार करना चाहिए।
राहुल ने कहा कि कांग्रेस ने उन राज्यों में भी बहुत खराब प्रदर्शन किया है, जहां उनकी सरकार थी। उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने अपने बेटों को टिकट देने पर जोर दिया। हालांकि, वह निजी रूप से इसके पक्ष में नहीं थे। इस संदर्भ में राहुल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम का भी नाम लिया।
इतनी बड़ी हार के बाद काफी गुस्से में नजर आ रहे राहुल ने पार्टी नेताओं पर मुद्दों को लेकर ढिलाई बरतने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कैंपेन में उठाए गए मुद्दों को आगे बढ़ाकर बीजेपी और उसके नेता नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक मजबूत राय नहीं तैयार की गई। सूत्रों ने कहा कि राहुल ने खास तौर पर राफेल डील और ‘चौकीदार चोर है’ जैसे मुद्दों का नाम लिया।