न्यूज डेस्क
अमेठी की जनता ने इस बार लोकसभा चुनाव में अपने भरोसा राहुल गाँधी पर नहीं दिखाया जिसका नतीजा हुआ की वह अपनी परंपरागत सीट से चुनाव हार गये। इस बार बीजेपी ने इस सीट पर कब्ज़ा कर लिया और स्मृति ईरानी इस सीट से चुनकर संसदपहुंची। वहीं, हार के बाद राहुल गाँधी को ढेड़ महीने बाद अमेठी की याद आई है और वो आज अमेठी जा रहे है। इस दौरान राहुल पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिलेंगे और साथ ही चुनाव में हार के कारण की भी समीक्षा करेंगे।
जानकारी के अनुसार राहुल गाँधी बुधवार को अमेठी का दौरा करेंगे, लेकिन बताया जा रहा है कि अपने इस दौरे को मीडिया से दूर रखेंगे। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि अपनी इस यात्रा को राहुल कैमरे की नजर से दूर रखना चाहते हैं।
इस यात्रा से राहुल गांधी यह संदेश दे रहे है कि भले ही वह अमेठी से चुनाव हार गए हैं, लेकिन उनका आत्मीय रिश्ता अमेठी से बना रहेगा। न कांग्रेस पार्टी और न ही राहुल गांधी अमेठी को कभी छोड़ना नहीं चाहेंगे जो कि उनकी कर्मभूमि है, उन्हें विरासत में मिली है और इसे वह संभाल कर रखना चाहेंगे।
अमेठी ऐसी संसदीय सीट रही है जिसका कांग्रेस और खासकर गांधी परिवार से गहरा रिश्ता रहा है। यहां से मिली हार केवल राहुल गांधी के लिए नहीं बल्कि पूरी पार्टी के लिए बड़ा झटका है।
पहली बार अमेठी सीट 1967 में अस्तित्व में आई थी और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी पहली बार संसद यहीं से पहुंचे थे। इस सीट का संसदीय इतिहास बताता है कि अब तक यहां से ज्यादातर समय कांग्रेस जीतती रही है। बहुत कम मौके आए जब कांग्रेस के हाथ से यह सीट फिसली है।