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B’DAY SPL : दीवार के आगे सब बेबस नजर आये

सैय्यद मोहम्मद अब्बास

साल 1996 में भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर थी। मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में इस दौरे पर दो खिलाड़ी क्रिकेट की फलक पर चमक उठे।

पहला नाम सौरभ गांगुली का था, जिसे कलकत्ता के राजकुमार, महाराज, ऑफ साइड का भगवान कहा गया तो दूसरी ओर राहुल द्रविड़ इस दौरे के बाद टीम इंडिया की नई दीवार बनकर सामने आये।

साल 1996 भारतीय टीम अजहर, सचिन, जडेजा, नवजोत सिंह सिद्धू, संजय मांजरेकर जैसे बल्लेबाजों पर आधारित रहती थी लेकिन 1996 में ये तस्वीर बदलने लगी थी।

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नवजोत सिंह सिद्धू बीच में ही इंग्लैंड का दौरा छोड़ कर भारत लौट आये थे जबकि चोटिल संजय मांजरेकर टीम से बाहर हो गए थे। ऐसी स्थिति में लग रहा था कि टीम इंडिया की बल्लेबाजी कमजोर हो गई है लेकिन इसके बाद दो खिलाडिय़ों ने टीम इंडिया की बल्लेबाजी को नई ऊंचाई प्रदान की।

लॉर्ड्स टेस्ट में राहुल द्रविड़ को चोटिल संजय मांजरेकर की जगह अंतिम 11 में उतारा गया। इस मुकाबले में राहुल द्रविड़ ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड की पेस बैटरी का जोरदार जवाब देते हुए 95 रन की पारी खेलकर सबको चौंका दिया। इसके बाद राहुल द्रविड़ ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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राहुल द्रविड़ ने बनाये कई रिकॉर्ड

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और अपने दौर के सबसे काबिल खिलाड़ी राहुल द्रविड़  11 जनवरी 2021 को अपना 48वां जन्मदिन मना रहे हैं। 16 साल तक टीम इंडिया की बल्लेबाजी को अपने मजबूत कंधों पर उठाने वाले राहुल द्रविड़ शुरुआती दौर से ही मध्यक्रम की मजबूत रीढ़ बन गए थे।

आलम तो यह रहा है कि मौजूदा दौर में उनके जैसा खिलाड़ी अभी तक पैदा नहीं हुआ है। उनकी बल्लेबाजी इतनी असरदार होती थी दुनिया की पेस बैटरी भी उनके सामने आने से कतराती थी।

उनमें टीम इंडिया को संकट से उबारने का गजब का माद्दा था। अपनी शानदार अनुशासन भरी बैटिंग से द्रविड़ ने दुनिया के कई खतरनाक गेंदबाजों की जमकर खबर ली।

आगे चलकर दुनिया ने देखा राहुल द्रविड़ का कमाल

साल 2000 में मैच फिक्सिंग के दलदल में विश्व क्रिकेट फंसा हुआ था। उसी दौर में भारतीय टीम में काफी बदलाव हुआ। दादा गांगुली के हाथ में टीम इंडिया की कमान थी।

दादा ने फिर अपने तरीके से टीम बनानी शुरू की। इसी दौर में राहुल द्रविड़ सौरभ गांगुली की कप्तानी में शानदार प्रदर्शन कर रहे थे। कंगारुओं को उनकी मांद में हराना दुनिया की हर टीम का सपना होता है लेकिन राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों ने अपने खेल की बदौलत इसे सच साबित किया है।

आखिर कैसे पड़ा द्रविड़ का नाम द वॉल

राहुल द्रविड़ अपनी मजबूत तकनीक और किसी भी पिच पर टिक कर खेलने में माहिर थे। उनके इसी तरह के खेल की वजह से उन्हें दीवार कहा जाने लगा था लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि द वॉल उनका नाम एक ऐड के दौरान पड़ा था। दरअसल नीमा नामचू और नितिन बेरी ने राहुल द्रविड़ को द वॉल नाम दिया था।

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1996-97 में एक ऐड के लिए अजहर, कुंबले और राहुल द्रविड़ शामिल थे। इस ऐड के दौरान सभी खिलाडिय़ों को उपनाम देना था, तभी राहुल द्रविड़ का नाम द वॉल पड़ गया था।

इतना ही नहीं चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर राहुल द्रविड़ के नाम से एक दीवार है। जिसमें लिखा है कमिटमेंट, क्लास और कंसिसटेंसी जो पूरी तरह से राहुल द्रविड़ की बल्लेबाजी को बयां करती है।

अगर क्रिकेट नहीं खेलते तो बनते हॉकी खिलाड़ी

द्रविड़ का जन्म 11 जनवरी, 1973 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। शुरुआती दौर में उनको हॉकी खेलना भी खूब पसंद था लेकिन बाद में राहुल द्रविड़ ने क्रिकेटर बनने का फैसला किया। राहुल ने अंडर-15, अंडर-17 और अंडर-19 क्रिकेट में खूब रन बनाये।

टेस्ट में द्रविड़ बेस्ट है

  • इंग्लैंड के खिलाफ 1996 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया।
  • 164 टेस्ट मैचों- 36 शतक जड़ा जबकि 63 अर्धशतक लगाया।
  • 286 पारियों में 13,288 रन बनाये। उनका औसत भी शानदार रहा है।
  • राहुल द्रविड़ ने 32 बार नाबाद रहे है। उनका औसत 42.51 रहा।
  • टेस्ट क्रिकेट में दस हजार लगाने के मामले में तीसरे भारतीय खिलाड़ी है।
  • उनसे पहले गावस्कर और तेंदुलकर ने 10 हजार से ज्यादा रन बनाये हैं।
  • सभी 10 टेस्ट खेलने वाले देशों के खिलाफ शतक जड़ा है।

वन डे क्रिकेट में खूब चमके

  • 344 वनडे में उन्होंने 12 शतक और 83 अर्धशतक जड़े।
  • उन्होंने 39.16 की औसत से 10,889 रन बनाए।

वन डे क्रिकेट में खूब चला राहुल द्रविड़ का बल्ला

1999 में विश्व कप में उनके चयन पर काफी विवाद हुआ था। कुछ लोगों का मानना था कि वह केवल टेस्ट क्रिकेट खेल सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं था। उनका खेल वन डे क्रिकेट में शानदार रहा।

राहुल द्रविड़ ने विश्व कप के तीसरे मुकाबले में श्रीलंका के खिलाफ 129 गेंदों पर 145 रन बनाकर सबको हतप्रभ कर दिया था। माना जाता है उनके लिए यह शतक ही वनडे करियर का टर्निंग पॉइंट रहा।

2001 में कोलकाता टेस्ट कौन भूल सकता है। द्रविड़ ने इस टेस्ट में लक्ष्मण के साथ मिलकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। उन्होंने 180 रन की पारी खेलकर जीत में अहम योगदान दिया।

2003 में एडिलेट टेस्ट में 233 रन की मैराथन पारी खेलकर कंगारुओं की पेस बैटरी की हवा निकाल दी थी।

 

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