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Lok Sabha Election: जानें रायबरेली लोकसभा सीट का इतिहास

रायबरेली लोकसभा क्षेत्र गांधी परिवार की पारंपरिक सीट होने की वजह से ज्यादा चर्चा में रहती है। रायबरेली जिले का प्रशासनिक मुख्यालय रायबरेली में है। यह लखनऊ डिवीजन का एक शहर है। रायबरेली उत्तर प्रदेश राज्य का प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है।

यह लखनऊ से केवल 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह शहर बहुत ही घना बसा हुआ है। यह उन्नाव, बाराबंकी, फतेहपुर, लखनऊ, आदि शहरों से घिरा हुआ है। यहां कुछ बड़ी कंपनियां जैसे, बिरला सीमेंट, इंडो गल्फ उर्वरक और एनटीपीसी लिमिटेड हैं।

यहां कई उद्योगों की स्थापना की गई है जिनमें केन्द्र सरकार की इण्डियन टेलीफोन इण्डस्ट्रीज मुख्य है। बेहता ब्रिज, इंदिरा गार्डन, डलमऊ, समसपुर बर्ड सेंचुरी यहां के प्रमख पर्यटन स्थल हैं। इसके अलावा मीनाक्षी दीक्षित, महावीर प्रसाद द्विवेदी, मालिक मोहम्मद जायसी और स्वप्निल सिंह जैसी बड़ी हस्तियां रायबरेली से ताल्लुक रखती हैं।

 

आबादी/ शिक्षा

राय बरेली 4,609 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। गंगा के बदलते बर्ताव के कारण इसके क्षेत्रफल में हर साल बदलाव होता रहता है। रायबरेली की जनसंख्या 191,065 है। वर्तमान में रायबरेली लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 1,594,954 है जिसमें महिला मतदाता 737,017 और पुरुष मतदाता की संख्या 857,875 है।

यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 941 महिलाएं हैं। यहां की साक्षरता दर 69 प्रतिशत है। राय बरेली की 99.95 प्रतिशत जनसंख्या गांव में रहती है। पिछड़े क्षेत्रों में रहने के बावजूद यहां लिंगानुपात विकसित क्षेत्रों से बहुत अच्छा है। राय बरेली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधान सभा क्षेत्र आते हैं जिसमें बछरावां, हरचंदपुर, रायबरेली, सरेनी और ऊंचाहार शामिल है।

राजनीतिक घटनाक्रम 

रायबरेली में पहली बार 1957 में चुनाव हुआ और अब तक यहां 17 बार लोकसभा के चुनाव हो चुके हैं। 17 बार हुए लोकसभा चुनाव में जीत का सेहरा 14 बार कांग्रेस के सिर पर बंधा है। इसीलिए इसे कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है। यहां 10 बार गांधी परिवार के ही किसी न किसी सदस्य ने सांसद का पद संभाला है।

पहली बार 1957 में फिरोज गांधी ने यहां जीत हासिल कर के अपनी पार्टी का खाता खोला जो आज तक बंद ही नहीं हुआ। उनके साथ ही 1957 में बैज नाथ कुरील भी इसी क्षेत्र के दूसरी सीट से जीते। 1960 में ही किन्ही कारणों से उपचुनाव कराये गये जिसमें फिर से कांग्रेस ही जीती। इस बार आर. पी. सिंह यहाँ से सांसद बने।

रायबरेली सुर्खियों में तब आया जब इंदिरा गांधी ने यहां से चुनाव लडऩे का निर्णय लिया। इंदिरा गांधी 3 बार यहां की सांसद बनी। 1977 में कांग्रेस पार्टी को यहां पहली बार हार का सामना करना पड़ा लेकिन 1980 में फिर कांग्रेस ने वापसी कर ली। 1980 और 1984 में हुए चुनाव में जवाहर लाल नेहरु के भतीजे अरुण कुमार नेहरु यहां से चुनाव जीते। वहीं 1989 और 1991 में हुए चुनाव में कांग्रेस की ही शीला कौल ने इस सीट पर कब्जा जमाया। दूसरी बार 1996 में कांग्रेस को यहां हार का सामना करना पड़ा। भारतीय जनता पार्टी के अशोक सिंह लगातार 2 बार रायबरेली के सांसद रहे।

1999 में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। इस बार कप्तान सतीश शर्मा यहां से सांसद चुने गए। 2004 में इंदिरा गांधी की बहू सोनिया गांधी इस सीट से चुनाव लड़ीं और उन्होंने जीत दर्ज की। 2006 में सोनिया गांधी पर दूसरे लाभ के पद पर होने की वजह से इस्तीफा देना पड़ा। उन्होंने अपने दूसरे लाभ के पद को भी त्याग दिया। 2006 में हुए उपचुनाव में सोनिया गांधी दोबारा जीत गयीं। 2004 से अब तक इस सीट पर सोनिया गांधी का कब्जा है। सोनिया गांधी रायबरेली की वर्तमान सांसद हैं।

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