पोलिटिकल डेस्क
वाराणसी लोकसभा सीट के लिए नरेंद्र मोदी के खिलाफ अब तक न तो कांग्रेस और न ही सपा बसपा गठबंधन ने अपने प्रत्याशी का एलान किया है , मगर देश की निगाह जिस सीट पर लगी है वहां एक “मुर्दा” नरेंद्र मोदी को चुनौती देने का मन बना चुका है।
इस मुर्दे की उम्र फिलहाल 85 साल की है और नाम है राम अवतार यादव। मुर्दा इसलिए कहा क्यूंकि सरकार के कागजो में राम अवतार यादव 8 साल तक “मुर्दा” रहे।
लम्बी लड़ाई के बाद राम अवतार यादव ने कागजों में खुद को जिन्दा तो साबित करा लिया, मगर इस बीच वे “मृतक संघ” के सदस्य जरूर हो गए।
राम अवतार को खुद को ज़िंदा साबित करने में 18 साल लग गए , लेकिन अपने हक़ की लड़ाई वो अब तक नहीं जीत पाए हैं।
यूपी में ऐसे बहुत से “मृतक है” जिनके रिश्तेदारों ने जमीन हड़पने के लिए उन्हें सरकारी कागजो में मुर्दा घोषित करा दिया। ऐसे ही एक मृतक लाल बिहारी यादव ने 2014 में “मृतक संघ की स्थापना कर दी. लाल बहादुर भी ऐसे ही साजिश का शिकार हुए थे और उन्हें भी खुद को जिन्दा साबित करने की लड़ाई लड़ने में सालो लग गए।
सियासत के मैदान में राम अवतार पहली बार नही उतरें हैं। 2014 में उन्होंने आजमगढ़ से मुलायम सिंह यादव के खिलाफ पर्चा भरा था लेकिन उनका पर्चा खारिज हो गया। अब वे नरेंद्र मोदी के खिलाफ परचा दाखिल करेंगे। चुनावी मैदान में उतरने की वजह मृतक संघ के अध्यक्ष लाल बिहारी यादव बताते हैं।
लाल बिहारी का कहना है कि ‘ मृतक संघ की तरफ से राम अवतार यादव का चुनाव मैदान में लड़ने का एक मात्र मकसद है देश में जिंदा होते हुए भी मुर्दा घोषित होकर पैतृक संपत्ति से बेदखल हो गए लोगों के दर्द को समझाना। फिलहाल मृतक संघ रामअवतार यादव के चुनाव के लिए चंदे की व्यवस्था कर रहा है।
जिस आधार कार्ड को सबसे बड़ा पहचान पत्र माना जाता है राम अवतार के पास वह भी है।
राम औतार बताते हैं – एक बीघा जमीन को मेरे ही रिश्तेदारों ने 2005 में सरकारी दस्तावेजों में मुझे मृत दिखाकर अपने नाम करवा लिया। लंबी लड़ाई के बाद 2013 में मेरा नाम खतौनी व परिवार रजिस्टर में फिर से दर्ज हुआ। जमीन पर सरकारी दस्तावेज में तो नाम दर्ज हो गया लेकिन कब्जा अभी तक नहीं मिला है।
जाहिर है राम अवतार की चुनावी लड़ाई भी प्रतिरोध का ही हिस्सा है। अब इस प्रतिरोध का असर यूपी की सरकार और प्रशाशन तंत्र पर होगा या वे भी महज एक खबर बन कर रह जायेंगे ये एक जरूरी सवाल है।