न्यूज़ डेस्क।
बिहार के मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अब तक यहां चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या 128 पहुंच गई है। पूरे देश में मासूम बच्चों की मौतों को लेकर गुस्से का माहौल है।
सोशल मीडिया में इस मुद्दे को लेकर जब लोगों का गुस्सा फूटना शुरू हुआ तो मीडिया ने भी इसे अब प्रमुखता देनी शुरू कर दी है। हालांकि अब तक इतने बड़े मुद्दे पर विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ने ही चुप्पी साध रखी है।
यह भी पढ़ें: एचआईवी से 2400 मौतों पर भी सरकार संवेदहीन क्यों?
यह भी पढ़ें: मोदी-शाह के एकाधिकार पर आपरेशन संघ
मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने मौतों की शुरुआत होने के 20 दिन बार श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) का दौरा किया, जहां उन्हें लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा।
वहीं प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने भी अब तक मासूमों की मौत पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उनकी इस ख़ामोशी पर भी लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
मंगलवार को मुजफ्फरपुर के अस्पलात में एक न्यूज़ चैनल की एंकर ने पहुंचकर डॉक्टरों से सवाल किए तो लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपनी फेसबुक पर लिखा कि, ये महिला पत्रकार की संवेदनहीनता है कि वह टीआरपी के लिए डॉक्टरों से सवाल कर रही हैं और उन्हें काम करने में व्यवधान उत्पन्न कर रही हैं। जबकि अपने कार्यालय से कुछ दूरी पर मौजूद देश के प्रधान सेवक से सवाल करने का साहस नहीं दिखा सकीं। उन्होंने लिखा कि, हर छोटी से छोटी बात पर नजर रखने वाले और अपनी प्रतिक्रिया देने वाले प्रधानमंत्री ने इस विषय में एक ट्वीट भी नहीं किया। उन्होंने आगे लिखा कि, खुद को चुनाव से पहले चौकीदार बताने वाले यशस्वी मोदी जी इस समय क्यों चुप हैं ?
वहीं एक ट्विटर यूजर ‘जेकी खान [ हरियाणे वाले ]’ ने लिखा कि, एक जमाना था जब प्याज,दाल की कीमतों पर भी आंदोलन होते थे….! आज 150 से ज्यादा मासूम बच्चों की मौत पर भी सन्नाटा क्यों है. सर जी .??
dimple yadav parody नाम के एक अन्य ट्विटर यूजर ने लिखा है कि, ऐ मेरे वतन के प्रधनमंत्री आँखों में भर लो पानी, बिहार में मरने वाला हर बच्चा था हिंदुस्तानी !
बता दें कि बिहार में चमकी बुखार (इंसेफलाइटिस) से हो रही मासूम बच्चों की मौत तथा बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर राज्य व केंद्र सरकार की आलोचना देशभर में हो रही है। चमकी बुखार के कहर से अब तक 128 बच्चों की मौत हो चुकी है। अभी भी करीब 418 बच्चों का इलाज चल रहा है, जिसमें से कई गंभीर बताए जा रहे हैं।