न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। साल 1916 में उत्तर प्रदेश म्युनिसिपल एक्ट बनने के बाद नवाबों के शहर लखनऊ को 100 सालों में पहली बार मेयर पद पर एक महिला के रूप में संयुक्ता भाटिया आसीन हुई। शहर की प्रथम नागरिक होने का जिम्मा तो इनके सिर है, लेकिन इनकी शाहखर्ची से लखनऊ नगर निगम क्या वाकई परेशान है!
मेयर संयुक्ता भाटिया की सुरक्षा पर नगर निगम हर साल करीब 12 लाख रुपये खर्च कर रहा है। निजी कंपनी के आठ बाउंसर उनकी सुरक्षा में लगाए गए हैं। इसके लिए नगर निगम हर बाउंसर को 12 हजार रुपये महीने का भुगतान कर रहा है। इसके अलावा महापौर को एक सरकारी गार्ड भी मिला है।
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सुरक्षा के नाम पर निजी एजेंसी के बाउंसरों की तैनाती पर लाखों के खर्च को लेकर विपक्ष ने पिछले दिनों विरोध जताया है। पहली बार किसी महापौर के लिए नगर निगम ने बाउंसर रखे हैं। अब तक सुरक्षा को सरकारी गनर ही रहता था।
महापौर के कार्यालय के काम के लिए नगर निगम द्वितीय, चतुर्थ श्रेणी का स्टाफ और निजी सचिव देता रहा है। इस समय भी यह व्यवस्था है। इसके अलावा संयुक्ता भाटिया की सुरक्षा को बाउंसरों पर सालाना 12 लाख खर्च किए जाने का सपा और कांग्रेस की ओर से विरोध हो रहा है।
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एक सप्ताह में महापौर से जुड़ा यह दूसरा मामला है जिसे लेकर विवाद हुआ है। बीते सप्ताह उन्होंने विनय कुमार सिंह नामक व्यक्ति को अपना ओएसडी नियुक्ति करने की जानकारी भेजते हुए नगर आयुक्त को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि ओएसडी की नियुक्ति के बारे में सभी अधिकारियों को जानकारी दी जाए।
ओएसडी की नियुक्ति को लेकर नगर आयुक्त ने ही कई सवाल उठाए थे। इस पर महापौर ने कहा था कि नियुक्ति उन्होंने अपने स्तर पर की है। उससे नगर निगम का कोई लेना- देना नहीं है, लेकिन बाउंसरों की तैनाती का खर्च नगर निगम उठा रहा है, जिससे विवाद शुरू हो गया।
सपा पार्षद दल के नेता यावर हुसैन रेशू, कांग्रेस पार्षद अमित चौधरी और कार्यकारिणी सदस्य शैलेंद्र सिंह बल्लू का कहना है नगर निगम पर 350 करोड़ की देनदारी है। विकास कार्य के लिए बजट का रोना है। ठेकेदारों का भुगतान नहीं हो रहा।
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कर्मचारियों का पीएफ नहीं जमा हो रहा है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को देयकों को भुगतान नहीं किया जा रहा। ऐसे में हर महीने एक लाख रुपये सुरक्षा कर्मियों पर खर्च करना शाहखर्ची है। यह जनता के धन की बर्बादी है। जब सरकारी सुरक्षा गार्ड मिला है तो प्राइवेट सुरक्षा गार्ड रखने की क्या जरूरत। इससे पहले किसी महापौर ने ऐसे दिखावे पर पैसा नहीं बर्बाद किया।
मामले पर मेयर संयुक्ता भाटिया का कहना है कि बाउंसर लगाने का काम नगर निगम का है। अधिकारी जाने कितना खर्च हो रहा है। निगम के अधिकारी मांगने पर भी खर्च का हिसाब नहीं देते हैं। तमाम जगह खर्च हो रहा है, किसी को उसका हिसाब कहां पता है।