डॉ उत्कर्ष सिन्हा
अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने की लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ट्रस्ट बन चुका है और मंदिर निर्माण की तैयारियां जोरों पर है। खबर ये है की सालों के इंतजार के बाद 5 अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजन किया जाएगा। इस दिन दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर मंदिर का शिलान्यास किया जाएगा।
इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास और भूमि पूजन करेंगे। वह चांदी की ईंट रखकर मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखेंगे।
यहाँ तक तो सब ठीक है , मगर राम मंदिर पर सियासत न हो ये मुमकिल नहीं लगता । ये जरूर है की भारत की राजनीतिक पार्टियां इस मामले पर कोई बयान नहीं दे रही और अयोध्या में भी अमन चैन बना हुआ है, लेकिन इस बार उठे नए विवाद के पीछे पहले धर्म गुरु है और उसके बाद खुद भाजपा ने ।
काशी के संतों के साथ ही तमाम जाने माने ज्योतिषी मंदिर शिलान्यास को लेकर तय मुहूर्त पर सवाल खड़े कर रहे हैं। संतों और ज्योतिषियों के अनुसार, मंदिर के शिलान्यास के लिए तय इस तारीख के मुहूर्त से समय को उस दिन का सबसे अशुभ समय बताया जा रहा है।
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने भूमि पूजन के तय वक्त को शुभ नहीं बताया है। उन्होंने कहा कि 5 अगस्त को दक्षिणायन भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। शास्त्रों में भाद्रपद मास में गृह, मंदिरारंभ कार्य निषिद्ध है। उन्होंने इसके लिए विष्णु धर्म शास्त्र और नैवज्ञ बल्लभ ग्रंथ का हवाला दिया।
अन्य ज्योतिषाचार्यो का कहना है कि इस वक्त भूमि पूजन करना कतई उचित नहीं होगा। चातुर्मास में देवालय का भूमि पूजन और शिलान्यास वैसे भी नहीं किया जाना चाहिए। 5 अगस्त को ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति भी शुभ योग नहीं बना रही है। इस मुहूर्त में भूमि पूजन से निर्माण में कई तरह की बाधाएं पैदा हो सकती हैं।
बात यही तक नहीं रुकी। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर मंदिर के शिलान्यास की तय तिथि पर तो सवाल उठाए ही उन्होंने तो सीधे सीधे भाजपा और नरेंद्र मोदी पर भी सवाल उठा दिए।
काशी विद्वत परिसद के संयोजक डॉ रामनारायण द्विवेदी कह रहे हैं कि मंदिर शिलान्यास का मुहूर्त काशी विद्वत परिषद ने नहीं बताया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास कह रहे हैं कि मंदिर पूजन का प्रोग्राम 3 दिन तक चलेगा। भूमि पूजन का कार्यक्रम 3 अगस्त से ही शुरू हो जाएगा।
ये तो रही मुहूर्त की बात , अब जरा देखिए सियासत – बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने इसे अपनी पार्टी की सरकार से जोड़ दिया । विजेवर्गीय कहते हैं कि 5 अगस्ती ऐतिहासिक तारीख है। 5 अगस्त 2019 – धारा 370, 35 A खत्म हुआ और 5 अगस्त 2020 – प्रभु श्रीराम मंदिर भूमि पूजन।
यानि की 5 अगस्त को भाजपा की राजनीति से जोड़ने की कवायद, विजयवर्गीय जब ये कह रहे होंगे तो दो बाते उनके दिमाग में हो सकती है पहला – वे विपक्षी दलों को खामोशी तोड़ने के लिए उकसाया रहे है जिससे राजनीतिक दंगल शुरू हो दूसरा– वे भाजपा के वोटरों को संदेश दे रहे हैं कि हमने जों वादे किये थे वे पूरे कर रहे हैं।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि भारत के शीर्ष धर्माचार्यों के रामालय ट्रस्ट को दरकिनार करके अलग ट्रस्ट बनाया गया जिसमें संघ, बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद के लोगों को ही लिया गया। इससे ऐसा लगता है कि ये मंदिर नहीं बनाना चाहते बल्कि संघ कार्यालय बनाना चाहते हैं।
अयोध्या विवाद में 09 नवंबर 1989 की तारीख बेहद महत्वपूर्ण है। ये वही दिन था जब विहिप ने हजारों हिंदू समर्थकों संग अयोध्या में राम जन्म भूमिक का शिलान्यास किया था। हजारों राजनैतिक हस्तियों, बड़े-बड़े साधु-संतों के बीच उस वक्त 35 साल के रहे एक दलित युवक कामेश्वर चौपाल के हाथों राम मंदिर के नींव की पहली ईंट रखवायी गई थी।
तो आज बात करेंगे इसी मुद्दे पर , हमारे साथ है अयोध्या के संत राजकुमार दास जी , भाजपा के प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव और वरिष्ठ पत्रकार भास्कर दूबे जों मूलतः अयोध्या के ही रहने वाले हैं और मंदिर आंदोलन और उसकी सियासत को बहुत करीब से देखते रहे हैं।