पॉलिटिकल डेस्क।
लोकसभा चुनाव 2019 अपने चरम पर है। चार चरणों के लिए मतदान हो चुका है और तीन चरणों के लिए अभी मतदान होना है। शुरुआत से लेकर ही चुनाव आयोग के रवैया को लेकर विपक्षी दल सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं।
बांसगांव से कांग्रेस प्रत्याशी कुश सौरव, बलिया लोकसभा सीट के लिए नामांकन में जन अधिकार मंच व कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी अमरजीत यादव और अब वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे बर्खास्त बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द किए जाने के बाद इस बहस ने और जोर पकड़ लिया है।
तेज बहादुर ने भी चुनाव आयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान कर दिया है। खास बात यह है कि अब तक बीजेपी के किसी भी नेता का नामांकन रद्द नहीं हुआ है।
Samajwadi Party MP candidate from Varanasi, Tej Bahadur Yadav: My nomination has been rejected wrongly. I was asked to produce the evidence at 6.15pm yesterday, we produced the evidence, still my nomination was rejected. We will go to the Supreme Court. pic.twitter.com/MF05gNoLJq
— ANI UP (@ANINewsUP) May 1, 2019
बता दें कि सपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन से पहले तेज बहादुर ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार नामांकन किया था। तब अपने हलफनामे में उन्होंने माना था कि उन्हें सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया है, लेकिन सपा उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरते समय उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया। इसी को लेकर चुनाव आयोग ने तेज बहादुर को बीएसएफ से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी लाने को कहा था।
तेजबहादुर यादव ने चुनाव आयोग के नोटिस के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि पूरा देश और विपक्ष उन्हें समर्थन दे रहा है, इसलिए मोदी उन्हें नामांकन भरने से रोकना चाहते हैं।
दरअसल इस लोकसभा चुनाव में दो बातों को गौर किया जाए तो समझ आता है कि नामांकन को लेकर भी राजनीति हो रही है। वाराणसी समेत कई ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं जहां सौ से अधिक लोगों ने नामांकन किया है। वहीं चुनाव आयोग द्वारा इस बार बड़ी संख्या में नामांकन रद्द भी किए जा रहे हैं।
पंजाब में लोकसभा सीट के लिए 19 मई को होने वाले मतदान के लिए नामांकन पत्रों की जांच के दौरान 69 उम्मीदवारों के नामांकन पत्र रद्द कर दिए गए। इसमें आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार शेरगिल का नामांकन भी रद्द किया गया।
वहीं हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों के लिए कुल 55 उम्मीदवारों ने सोमवार तक अपने नामांकन दाखिल किए थे जिनमें से जांच के दौरान नौ उम्मीदवारों के नामांकन रद्द हो जाने के पश्चात अब 46 उम्मीदवार चुनाव मैदान में रह गए हैं।
उत्तर प्रदेश में भी अब तक कई लोगों के नामांकन रद्द किए जा चुके हैं। हाल ही में बांसगांव से कांग्रेस प्रत्याशी कुश सौरव का नामांकन रद्द हो गया है जिसको लेकर कांग्रेस कार्यकर्त्ता में काफी रोष उत्पन्न हो गया है।
इसके अलावा गोरखपुर से दाखिल किए गए नामांकन में हिन्दुस्तान निर्माण दल के सुनील सिंह और पीस पार्टी के अरुण कुमार श्रीवास्तव समेत 21 प्रत्याशियों के पर्चे खारिज हो गए।
नामांकन पत्र खारिज होने से नाराज प्रत्याशियों ने जिला निर्वाचन अधिकारी समेत निर्वाचन कार्य से जुड़े सभी अफसरों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रत्याशी इस मामले की शिकायत आयोग से करने की योजना में है।
दूसरी तरफ जिला निर्वाचन अधिकारी के विजयेन्द्र पांडियन ने बताया कि आयोग के निर्देश के अनुसार नामांकन पत्र न दाखिल करने वालों के ही पर्चे खारिज किए गए हैं। पूरी प्रक्रिया प्रेक्षक की निगरानी में हुई है। इसकी वीडियो रिकार्डिंग भी कराई गई है।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी आरोप लगाया है कि अबतक कांग्रेस ने पीएम मोदी के खिलाफ 10 बार शिकायतें की हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने अबतक कोई फैसला नहीं लिया है। कांग्रेस ने कहा है कि पिछले एक महीने से पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अपने चुनावी भाषणों में बालाकोट और सेना का जिक्र कर रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।