न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा, अमेरिका- चीन व्यापार युद्ध और कंपनियों की कमाई के तिमाही आंकड़ों से इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा तय होगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों की नजर कर से जुड़े मुद्दों पर भी होगी क्योंकि इससे जुड़ी खबरें मिल रही हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) पर कर अधिभार को लेकर चर्चा हुई है।
पिछले महीने संसद में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस प्रस्ताव की घोषणा की थी। हालांकि, इस सप्ताह बाजार की चाल रिजर्व बैंक के तीन दिन तक चलने वाली नीतिगत बैठक पर निर्भर करेगी। यह बैठक सोमवार से शुरू हो रही है।
विशेषज्ञों ने कहा कि केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए लगातार चौथी बार नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है। केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति से जुड़ी बैठक ऐसे समय में हो रही है जब सारे संकेतक नरमी की ओर इशारा कर रहे हैं। एपिक रिसर्च के सीईओ मुस्तफा नदीम ने कहा, ‘बाजार अब आरबीआई की बैठक का इंतजार कर रहा है, जो इस सप्ताह होनी है।’
विश्लेषकों के मुताबिक सेवा क्षेत्र से संबंधित पीएमआई आंकड़े सोमवार को जारी होने वाले हैं, इससे भी निवेशकों की धारणा प्रभावित होगी। एक्सिस सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण ठुकराल ने कहा, ‘बाजार में हालिया ‘करेक्शन’ की वजह वैश्विक स्तर पर कमजोर रुख, एफपीआई की बिकवाली एवं घरेलू अर्थव्यवस्था में नरमी से के संकेत जैसे कारक हैं।’
इसके अतिरिक्त कंपनियों के तिमाही नतीजों से भी बाजार की दिशा तय होगी। सिप्ला, एचसीएल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, ल्यूपिन, एमएंडएम, टाटा स्टील, हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज एवं गेल इंडिया जैसी प्रमुख कंपनियों के नतीजे इस सप्ताह आने वाले हैं।
दूसरी ओर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन से आयातित उत्पादों पर नए सिरे से शुल्क लगाए जाने और चीन द्वारा इसके जवाब में कदम उठाने का संकल्प जताने के बाद वैश्विक बाजार में अफरातफरी की स्थिति है। इससे भी बाजार की दिशा तय होगी। पिछले सप्ताह सेंसेक्स में 2.01 प्रतिशत या 764.57 अंक की गिरावट दर्ज की गई।