नवेद शिकोह
आरोप लगाने वालों अपना चश्मा बदल के देखो ! भाजपा लोकतंत्र की हत्या नहीं रक्षा कर रही है। कमजोर लोकतांत्रिक ढांचे को ताकत देने के हर संभव प्रयास कर रही है। विपक्ष कमजोर है इसलिए गैर राजनीतिक हस्तियों को भी ताकत देकर उन्हें मजबूत विपक्षी नेताओं के रूप में तैयार कर रही है। जो कमजोर विपक्षी नेता हैं उन्हें मजबूत किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की दिल की बात तो जुबान पर भी आ चुकी है। उन्होंने सरकार से सवाल पूछने वाले पत्रकारों से कहा कि नेता बन जाओ।
और ऐसा कुछ हो भी रहा है।
विपक्षी नेता तो कमजोर पड़े हुए हैं लेकिन कुछ बड़े-बड़े ब्रांड टीवी पत्रकार चेहरे जब अपने-अपने संस्थानों से निकाल दिए गये तो वो अब स्वतंत्र पत्रकारिता कर मजबूत विपक्ष की तरह सिर्फ और सिर्फ सरकार के सामने सवाल उठा रहे हैं। डीजिटल मीडिया पर सरकार की कमियों को उजागर कर रहे हैं।
पुण्य प्रसून वाजपेयी, अभिसार शर्मा, विनोद दुआ और अजीत अंजुम जैसे ऐसे कई पत्रकार हैं। ये तो पत्रकारों का मामला हो गया। अब दूसरे पेशेवरों की बात करते हैं।
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एक बड़े अधिवक्ता और एक्टीविस्ट के तौर पर प्रशांत भूषण ने यूपीए सरकार के पसीने छुड़ा दिये थे लेकिन सरकार ने रिएक्ट नहीं किया इसलिए वो बहुत ज्यादा राष्ट्रीय चर्चा में नहीं रहे। भाजपा सरकार के खिलाफ भी प्रशांत मुखर हुए। और इस बार उन्हें जेल जाने की नौबत आ गयी। इसलिए ये इतनी चर्चा में रहे कि एक बड़े विपक्षी की भूमिका में उभरे।
अब बात करते हैं एक डाक्टर की। एक मामूली सा डाक्टर क़फील। भाजपा ने आज इसे इतनी बड़ी विपक्षी ताकत बना दिया कि हर एक विपक्षी दल इन्हे़ अपनी पार्टी में लाने की जद्दोजहद कर रहा है। कांग्रेस की प्रिंयका गांधी वाड्रा डा.कफील के समर्थन में तब तक मुखर रहीं जब तक कि वो जेल से रिहा नहीं हो गये। सपा और आप भी इस डाक्टर को अपने पाले में लेने के लिए आतुर है।
आगे और भी मिसाले हैं जहां भाजपा की लोकतांत्रिक भावना के और भी रंग दिखेंगे। यूपी मे ही एक आईपीएस हैं अमिताभ ठाकुर, ये लगातार सरकारी तंत्र पर सवाल उठा रहे हैं। सवाल उठाने के लिए इन्हें सरकार की खामियों का खूब मेटीरियल मिल रहा है। ये अपने साहस का परिचय देने के लिए स्वतंत्र हैं।
इससे पहले अखिलेश यादव सरकार पर भी आईपीएस अमिताभ ठाकुर हमलावर हुए थे। मुलायम सिंह के धमकी भरे फोन टेप को लेकर वो न्यायालय भी गये । इसी तरह एक पूर्व आईएएस सूर्य कुमार के खिलाफ एफआईआर के बाद वो विपक्षी ताकत के तौर पर उभरे।
यही नहीं कमजोर विपक्षी नेताओं को भी भाजपा मजबूत बनाने में लगी है। और इस तरह कमजोर लोकतंत्र को टॉनिक देने का काम खुद सरकार कर रही है।
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प्रियंका गांधी अपनी सियासी एंट्री में ही पिछले लोकसभा चुनाव की असफलता के साथ फ्लॉप साबित हो चुकी थीं। लेकिन बाद में योगी सरकार ने प्रियंका को बार-बार तवज्जों देकर यूपी में निष्क्रिय कांग्रेस को गति दे दी। प्रियंका की बसों का मामला हो, स्कूटी/हेलमेट चालान की चर्चा या दिल्ली में उनका सरकारी मकान खाली करवाने का मामला खूब सुर्खियां बना। इसी तरह योगी सरकार ने कांग्रेस के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष लल्लू को बार-बार गिरफ्तार कर जमीनी विपक्षी नेता के तौर पर स्थापित कर दिया।
आप नेता संजय सिंह भी आजकल यूपी की सिसासी हलचलों में शामिल हैं। ये राज्यसभा सांसद हैं। पार्टी में भले ही उनका बड़ा क़द हो लेकिन इन्हें जनाधार वाला नेता नही कहा जा सकता। लेकिन अब लगता है कि यूपी सरकार उन्हें खूब रिएक्ट करके जनाधार वाला नेता बनाये दे रही है। जहां आप का कोई अस्तित्व नहीं उस यूपी में संजय सिंह के बयानों को लेकर योगी सरकार ने उनपर तमाम एफआईआर लिखवा दीं। जिसके बाद यहां आप नेता संजय सिंह की दमदार धमक सुनाई पड़ने लगी।
इस तरह भाजपा अपने विरोधियों की फसल खुद तैयार कर रही है। उन्हें खाद-पानी दे रही है।
इसी आप कुछ भी कह सकते हैं। राजनीतिक अपरिपक्वता कहिए या लचर विपक्ष से कमजोर लोकतंत्र को ताकत देने की दरियादिली समझ लीजिए !
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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