न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। यूपी के मीरजापुर में विंध्यधाम के कालीखोह एवं अष्टभुजा मंदिर के बीच पूर्वांचल का पहला रोप-वे बनकर लगभग तैयार हो गया है। यात्रियों के लिए शेड का निर्माण कराया जा रहा है। इसका निर्माण PPP Model पर नई दिल्ली की रोप-वे कम्पनी करा रही है।
चाइना के इंजीनियर इसका दो बार परीक्षण भी कर चुके हैं लेकिन अंतिम परीक्षण भारत सरकार की रोप-वे का निर्माण कराने वाली संस्था को करना है। इसकी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंपे जाने के बाद इसे चालू किये जाने का रास्ता साफ होगा।
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कालीखोह से अष्टभुजा के बीच बने रोप-वे का इस माह कभी भी हो सकता है परीक्षण, सरकार और कंपनी को प्रति वर्ष दो से ढाई करोड़ रुपये की आसानी से हो सकेगी आय
मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने के बाद अष्टभुजा और कालीखोह मंदिरों में दर्शन पूजन करने वाले श्रद्धालु व पर्यटक अब मां अष्टभुजा मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ी की बजाय रोप-वे की मदद ले सकेंगे। रोप-वे से न केवल दर्शनार्थियों को ऊंची पहाड़ियों पर चढ़ने से मुक्ति मिल जाएगी बल्कि शासकीय खजाने को प्रति वर्ष दो से ढाई करोड़ रुपये आसानी से मिलेंगे।
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अष्टभुजा और कालीखोह मंदिर के बीच लगभग ढाई वर्ष से पीपीपी माडल पर नई दिल्ली की ग्लोरियस इम्पैक्ट प्रा.लि. कम्पनी रोप-वे तैयार करा रही है। कम्पनी अब तक लगभग 16 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। पर्यटन विभाग की निगरानी में इसका निर्माण कराया जा रहा है।
सहायक पर्यटन अधिकारी प्रवीन कुमार की माने तो रोप-वे का निर्माण कार्य लगभग पूरा करा लिया गया है। अब दोनों तरफ के स्टेशनों पर यात्रियों की सुविधा के लिए शेड का निर्माण कराया जा रहा है। इसका परीक्षण भी चाइना की रोप-वे निर्माण करने वाली कम्पनी के इंजीनियर दो बार कर चुके हैं।
इस माह शेड तैयार हो जाने के बाद भारतीय रोप-वे निर्माण करने वाली कम्पनी के इंजीनियर निरीक्षण करेंगे। रिपोर्ट के बाद प्रदेश सरकार से इसे चालू करने की अनुमति मांगी जाएगी। सहायक पर्यटन अधिकारी का कहना है कि इस माह कभी भी इसे चालू किया जा सकता है।
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नवरात्र में जुटते हैं सात से आठ लाख श्रद्धालु
रोप-वे से विंध्यधाम में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। शारदीय और वासंतिक नवरात्र मेले के दौरान आने वाले सात से आठ लाख श्रद्धालुओं से रोप-वे संचालित करने वाली कम्पनी को बेहतर आय भी हो सकेगी। पर्यटन विभाग का मानना है कि यदि चार से पांच लाख श्रद्धालु भी रोप-वे से यात्रा करेंगे और न्यूनतम 50 रुपये किराया लिया गया तो लगभग ढाई करोड़ रुपये प्रति नवरात्र आमदनी होगी।
इनमें पचास फीसदी सरकार और इतना ही धन रोप-वे का निर्माण कराने वाली कम्पनी को मिल जाएगा। इसके अलावा अन्य दिनों में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां का दर्शन पूजन करने आते हैं जिनसे भी रोप-वे कम्पनी को आमदनी होगी।