जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा है। हालांकि चुनाव के नतीजे आने से पहले लग रहा था कि कांग्रेस गोवा, उत्तराखंड और पंजाब में सत्ता में आ सकती है लेकिन तीन जगह उसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा है।
इतना ही नहीं कांग्रेस पंजाब में दोबारा सत्ता में वापसी का सपना भी टूट गया और आम आदमी पार्टी ने वहां से कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया है। आम आदमी पार्टी की जीत कई मायने में अहम मानी जा रही है। इससे पहले ऐसे ही आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सत्ता से भी कांग्रेस को बाहर कर दिया था और वहां केजरीवाल दूसरी बार सीएम बनकर सबको हतप्रभ कर दिया था अब पंजाब में कुछ इसी तरह का देखने को मिल रहा है। चुनाव से पहले सिद्धू और चन्नी जीत का दम भर रहे थे लेकिन नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए है और अब कांग्रेस को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर कहां चूक हुई है।
सिद्धू कोई करिश्मा नहीं कर सके
अगर देखा जाये तो कांग्रेस के लिए सिद्धू कोई करिश्मा नहीं कर सके। राजनीतिक के जानकार मान रहे हैं कि पंजाब में कांग्रेस के लिए सिद्धू असरदार नहीं रहे हैं बल्कि उनकी वजह से कांग्रेस को आज ये दिन देखना पड़ रहा है। लोग यहां तक कह रहे हैं कि सिद्धू के बड़बोलेपन की वजह से कांग्रेस का बेड़ा गर्क हो गया है।
भले ही क्रिकेट की पिच पर सिद्धू ने बड़े-बड़े छक्के लगाये हो लेकिन राजनीतिक पिच पर सिद्धू फिसड्डी साबित हुए है। 18 वर्ष के अपने राजनीतिक करियर में उनके लिए गिनाने के लिए कुछ भी नहीं है।
बतौर राजनेता सिद्धू अपनी कप्तानी में कांग्रेस के लिए कोई चमत्कार नहीं कर सके। पूरे चुनाव में ये कही से नहीं लग रहा था कि सिद्धू कांग्रेस को सत्ता दिलाना चाहते हैं बल्कि लगा कि वो शायद अपनी पार्टी के खिलाफ है।
उनके बयानों से कई बार लगा ऐसा कि वो अपनी पार्टी के साथ है ही नहीं। सिद्धू ऐसे नेता था जो अपनी पार्टी की ईंट से ईंट बजाने की बात करते थे और उनका पंजाब मॉडल वहां की जनता का रास नहीं आया।
कैप्टन के बाद चन्नी से भी उनका रिश्ता बेहद खराब रहा। कई मौकों पर चन्नी से उनका टकराव देखने को मिला। चन्नी उनके बीच खींचतान भी खूब देखने को मिली।
सिद्धू ने कई मौकों पर सीएम का चेहरा घोषित करने का राग अलापते रहे और उन्होंने कहा कि कांग्रेस का लाड़ा (दूल्हा) कौन होगा, इसकी घोषणा होनी चाहिए। इसके बाद कांग्रेस ने उनकी मांग को मांगते हुए चन्नी को सीएम चेहरा घोषित किया लेकिन वो भी रास नहीं आया। इसके बाद लगातार वो कांग्रेस से कटते नजर आये हैं और चुनाव प्रचार से दूरियां बनानी शुरू कर दी।