जुबली न्यूज़ डेस्क
आज से ठीक एक साल पहले 30 मई, 2019 को मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ ली थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए को 2019 के आम चुनाव में दूसरी बार प्रचंड बहुमत मिला तो प्रधानमंत्री मोदी ने भी दूसरे कार्यकाल में अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए प्रयास किया। प्रधानमंत्री मोदी ने बिना देरी किए दस हफ्ते के भीतर-भीतर ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 और 35 ए को हटाने का सबसे ऐतिहासिक फैसला लिया। लेकिन इसके साथ ही कई मामलों को लेकर सरकार बुरी तरह घिरी भी नजर आई।
नरेन्द्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उपलब्धियां भी हैं तो नाकामियां भी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा होने पर देशवासियों के नाम चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना वायरस से लेकर अर्थव्यवस्था का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि देश कोरोना संकट से निकल आएगा और अर्थव्यवस्था भी उबर जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि हमें यह हमेशा याद रखना है कि 130 करोड़ भारतीयों का वर्तमान और भविष्य कोई आपदा या कोई विपत्ति तय नहीं कर सकती। हम अपना वर्तमान भी खुद तय करेंगे और अपना भविष्य भी। हम आगे बढ़ेंगे, हम प्रगति पथ पर दौड़ेंगे, हम विजयी होंगे।
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पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल के एक साल पूरे होने पर कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह का कहना है कि ग़रीबों को पत्र नहीं बल्कि आज पैसे चहिये। पत्र से पेट नहीं भरता, हर गरीब के खाते में 10000 रूपया भेजिये।
बुन्देलखंड निर्माण सेना के उपाध्यक्ष भानु प्रताप कहते हैं कि पिछले कुछ समय में बैंक फ्रॉड के मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। मोदी सरकार ने मेहुल चौकसी, नीरव मोदी, जतिन मेहता, विजय माल्या जैसे घोटालेबाजों के 68,607 करोड़ रुपए बट्टे खाते में डाल दिए गए। आजादी के बाद से जीडीपी ग्रोथ सबसे निचले स्तर पर है। सरकार आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह फेल है।
कांग्रेस सोशल मीडिया विभाग के प्रमुख रोहन गुप्ता ने लिखा कि, कोरोना के अब तक के सबसे ज़्यादा 8134 केस, मोदी सरकार आज ही के दिन 1 साल खत्म होने का जश्न मनाएगी ! जनता त्रस्त है और भाजपा मस्त है !
राष्ट्रीय ल़ोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्र नाथ त्रिवेदी ने केन्द्र सरकार के द्वितीय कार्यकाल का एक वर्ष पूरा होने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास जैसे उद्घोष के साथ इस सरकार ने कार्य प्रारम्भ किया परन्तु सबका साथ पाकर भी सबका विकास करने और सबका विश्वास जीतने में सरकार नाकाम रही है।
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