न्यूज डेस्क
सब कुछ सामान्य था लोग सड़क पर आ जा रहे थे। सभी दुकानों पर चहल – पहल थी। बच्चे गलियों में खेल रहे थे। हालांकि इस बीच पुलिस भी चप्पे – चप्पे पर नजर रखे हुई थी कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाये, लेकिन किसको खबर थी की कुछ भयानक होने वाला है। गुरूवार को जो कुछ राजधानी लखनऊ में हुआ शायद उसकी प्लानिंग पहले से ही की जा चुकी थी।
दरअसल, बात शुरू होती है गुरूवार दोपहर से। राजधानी लखनऊ के खदरा इलाके में अयोध्यादास प्रथम वार्ड के पार्षद की अगुवाई में एक जुलूस निकाले जाने की शुरुआत हुई। स्थानीय लोगों द्वारा बताया जा रहा है कि इस जुलूस में स्थानीय पार्षद ने बाहर से लोगों को बुलाया था। इस जुलूस में शामिल लोगों की संख्या करीब पांच सौ लोगों से भी ज्यादा थी।
इस जुलूस की अगुवाई खुद खदरा के पार्षद कर रहे थे। जुलूस में भरी संख्या बल होने की वजह से माहौल बिगड़ने में कितनी देर लगती है। इस बीच भीड़ उग्र हो गयी और पत्थर बाजी और आगजनी करने लगी। हालांकि इस दौरान पार्षद उपद्रव करने वालों को समझा रहे थे, लेकिन तब तक देर हो गई थी और भीड़ उग्र हो चुकी थी। उसके बाद क्या था इस भीड़ ने शुक्रवार को पूरे लखनऊ को हिंसक बना दिया और पार्षद महोदय वहां से धीरे से अलग हो लिए।
खदरा पार्षद द्वारा जो कृत हुआ शायद वहीं इस घटना की मुख्य वजह था। अगर पार्षद कोई जुलूस न निकालते तो शायद राजधानी लखनऊ में जो उपद्रव हुआ वो न होता और सब कुछ सामान्य रहता। न किसी की जान जाती और न ही किसी भी प्रकार की सरकारी संपत्ति का नुकसान होता।
इन सबके बाद शुक्रवार को जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ पार्षदों की बैठक बुलाई गई। इसमें जोन तीन और छह से जुड़े पार्षदों को बुलाया गया था। जोन तीन में खदरा और जोन छह में सतखंडा पुलिस चौकी आती है, जहां आगजनी की गई थी। बैठक में नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी भी शामिल हुए।
बैठक में पार्षदों को हिदायत दी गई कि अगर वह उपद्रवियों की अगुआई करेंगे तो कार्रवाई के लिए तैयार रहें। पार्षदों से कहा गया कि ऐसी घटनाओं के समय वह पुलिस व प्रशासन के साथ मौजूद रहें। अफसरों की चेतावनी पाने के बाद प्रदर्शन में शामिल हुए कई पार्षद तो मोबाइल फोन से ही दूर रहे।