न्यूज डेस्क
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 निष्प्रभावी हुए तीन माह हो गए लेकिन अब तक वहां संचार प्रतिबंध जारी है। इसके अलावा सैकड़ों की संख्या में हिरासत में लिए गए नेता, कार्यकता और सामाजिक कार्यकर्ता आज भी कैद हैं। इसी को लेकर अमेरिकी संसद में भारतीय-अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने जम्मू कश्मीर पर एक प्रस्ताव पेश करते हुए भारत से वहां लगाए गए संचार प्रतिबंधों को जल्द से जल्द हटाने और सभी निवासियों की धार्मिक स्वतंत्रता संरक्षित रखे जाने की अपील की।
सांसद जयपाल द्वारा कई सप्ताह के प्रयासों के बाद प्रतिनिधिसभा में पेश किए गए इस प्रस्ताव को कंसास के रिपब्लिकन सांसद स्टीव वाटकिंस के रूप में केवल एक सदस्य का समर्थन प्राप्त है। यह एक केवल एक प्रस्ताव है, जिस पर दूसरे सदन में वोट नहीं किया जा सकता और यह कानून नहीं बनेगा।
प्रमिला के इस प्रस्ताव में भारत से पूरे जम्मू कश्मीर में संचार सेवाओं पर लगे प्रतिबंधों को हटाने और इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने की अपील की गई है।
इस प्रस्ताव को पेश किए जाने से पूर्व अमेरिका से भारतीय मूल के अमेरिकियों ने विभिन्न मंचों से इसका विरोध किया था। प्रमिला जयपाल के कार्यालय को इस प्रस्ताव को पेश नहीं करने के लिए भारतीय अमेरिकियों के 25 हजार से अधिक ईमेल प्राप्त हुए। भारतीय अमेरिकियों ने कश्मीर पर प्रस्ताव पेश करने के उनके कदम के खिलाफ उनके कार्यालय के बाहर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन भी किया।
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As the world’s largest democracy, India shares a unique and important relationship with the United States. I’m proud to have lived my own life in the world’s two greatest democracies—as a citizen of India for 35 years, and now as a proud American citizen and member of Congress.
— Rep. Pramila Jayapal (@RepJayapal) December 8, 2019
प्रस्ताव में भारत से अपील की गई है कि मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए लोगों की जल्द से जल्द रिहाई की जाए और उन पर राजनीतिक गतिविधियों एवं भाषणों पर किसी प्रकार की रोक लगाने वाले बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने की शर्त लगाने से बचा जाए।
इस प्रस्ताव में दावा किया गया है कि इस बात के ‘फोटोग्राफिक’ सबूत हैं कि हिरासत में लिए गए लोगों को उनकी रिहाई की शर्त के रूप में राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने से मना करने और बयान जारी करने के लिए निश्चित बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने होंगे।
हालांकि भारत ने इन आरोपों को हमेशा खारिज किया है। भारत का कहना है कि जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने का निर्णय संप्रभु है और वह अपने आंतरिक मामले में किसी का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा।
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