प्रो. अशोक कुमार
2024 भारतीय आम चुनाव 19 अप्रैल 2024 से 1 जून 2024 तक, 18वीं लोकसभा के सदस्यों का चुनाव करने के लिए निर्धारित है। चुनाव के दौरान 18वीं लोकसभा के कुल 543 सदस्य चुने जाएंगे, जो सात चरणों में होंगे। चुनाव के नतीजे 4 जून 2024 को घोषित किए जाएंगे। यह देश के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा चुनाव होगा, जो 2019 के भारतीय आम चुनाव को पीछे छोड़ देगा, और 44 दिनों तक चलेगा, जो 1951-52 के भारतीय आम चुनाव के बाद दूसरा है।
लोकतंत्र के महापर्व का आगाज 19 अप्रैल 2024 से हो गया है. 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर आज पहले चरण की वोटिंग हो गयी है !चुनाव परिणामों की संभावनाएं चुनाव से पहले और चुनाव के बाद दो चरणों में होती है:
चुनाव से पहले:
1. मतदान पूर्व सर्वेक्षण ओपिनियन पोल, जिसे जनमत सर्वेक्षण या सिर्फ पोल भी कहा जाता है ! चुनाव से पहले, विभिन्न एजेंसियां मतदाताओं के बीच सर्वेक्षण करती हैं। इन सर्वेक्षणों में लोगों से पूछा जाता है कि वे किसे वोट देने की योजना बना रहे हैं, वे किन मुद्दों को लेकर सबसे अधिक चिंतित हैं, और वे किस पार्टी या उम्मीदवार पर भरोसा करते हैं। इन सर्वेक्षणों के परिणामों का उपयोग मतदाताओं के रुझानों का अनुमान लगाने और संभावित चुनाव परिणामों का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है।
आसान भाषा में समझें तो मान लीजिए आपको ये जानना है कि आपके शहर के लोग किस पार्टी को वोट देना पसंद करेंगे आने वाले चुनाव में. तो आप जयपुर के कुछ लोगों से जाकर ये सवाल पूछ सकते हैं. लेकिन आप हर किसी से नहीं पूछ सकते तो आप उनमें से कुछ लोगों को चुनते हैं जो पूरे जयपुर की जनता को रिप्रेजेंट करते हैं. फिर इन चुने हुए लोगों के जवाबों के हिसाब से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जयपुर की ज्यादातर जनता किस पार्टी को पसंद करती है. अच्छी ओपिनियन पोल कराने के लिए ये जरूरी है कि चुने हुए लोग वाकई में पूरे समूह को सही से रिप्रेजेंट करते हों. वरना नतीजे गलत भी हो सकते हैं.
2.राय विश्लेषण: चुनाव से पहले, राजनीतिक विश्लेषक और मीडिया हाउस चुनाव परिणाम का अनुमान लगाने के लिए विभिन्न कारकों का विश्लेषण करते हैं। इन कारकों में पिछले चुनाव परिणाम, वर्तमान राजनीतिक माहौल, आर्थिक स्थिति, और उम्मीदवारों और पार्टियों की लोकप्रियता शामिल हो सकती है। विश्लेषक मतदान पूर्व सर्वेक्षण , राय चुनावों, और अन्य डेटा का उपयोग करके अपनी भविष्यवाणियां करते हैं।
चुनाव के बाद:
1. एग्जिट पोल: एग्जिट पोल्स वोट करके पोलिंग बूथ के बाहर आए लोगों से बातचीत या उनके रुझानों पर आधारित हैं. इनके जरिए अनुमान लगाया जाता है कि नतीजों का झुकाव किस ओर है. इसमें बड़े पैमाने पर वोटरों से बात की जाती है. इसे कंडक्ट करने का काम आजकल कई ऑर्गनाइजेशन कर रहे हैं. एग्जिट पोल के परिणामों का उपयोग चुनाव परिणामों का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है, हालांकि वे हमेशा सटीक नहीं होते हैं।
2. मतगणना: मतदान समाप्त होने के बाद, मतों की गिनती शुरू होती है। मतगणना की प्रक्रिया आमतौर पर निर्वाचन अधिकारियों द्वारा पारदर्शी तरीके से की जाती है। मतगणना के परिणाम आधिकारिक चुनाव परिणाम होते हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चुनाव परिणामों की संभावनाएं केवल अनुमान हैं और वास्तविक परिणामों से भिन्न हो सकती हैं।
कुछ कारक जो चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं:
मतदाताओं का व्यवहार: मतदाता अपनी राय बदल सकते हैं या अंतिम समय में मतदान करने का फैसला नहीं कर सकते हैं।
मतदाताओं की भागीदारी: यदि अधिक लोग मतदान करते हैं, तो चुनाव परिणाम अधिक सटीक होने की संभावना है।
अंतिम मिनट के मुद्दे: चुनाव से ठीक पहले उभरने वाले मुद्दे मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं और चुनाव परिणामों को बदल सकते हैं।
सैंपलिंग त्रुटियां: ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल में हमेशा सभी मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाला नमूना शामिल नहीं होता है।
डेटा त्रुटियाँ मतदान डेटा में त्रुटियां हो सकती हैं, जैसे कि गलत मतों की गिनती या डेटा में प्रवेश में त्रुटियां। सांख्यिकीय त्रुटियाँ जटिल गणितीय मॉडल में त्रुटियां हो सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप गलत अनुमान लग सकते हैं।
मतदान त्रुटियां:* मतदान मशीनों में खराबी या मतों की गिनती में त्रुटियां चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं।
नियमन:
जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 ए के तहत वोटिंग के दौरान ऐसी कोई चीज नहीं होनी चाहिए जो वोटरों के मनोविज्ञान पर असर डाले या उनके वोट देने के फैसले को प्रभावित करे. वोटिंग खत्म होने के डेढ़ घंटे तक एग्जिट पोल्स का प्रसारण नहीं किया जा सकता है. और ये तभी हो सकता है जब सारे चुनावों की अंतिम दौर की वोटिंग भी खत्म हो चुकी हो.उसके बाद टीवी चैनल्स और कुछ समाचार साइट्स एग्जिट पोल के वो नतीजे देने लगेंगे, जो उन्होंने खुद या एजेंसियों के जरिए कराए हैं.
सी वोटर
सी वोटर यह भारत की एक प्रसिद्ध मतदान एजेंसी है जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करती है. इसका मुख्यालय दिल्ली, भारत में है.
सी वोटर कई तरह के काम करता है, जिनमें शामिल हैं:मतदान सर्वेक्षण: चुनावों से पहले और बाद में, सी वोटर विभिन्न मुद्दों और उम्मीदवारों पर जनता की राय जानने के लिए मतदान सर्वेक्षण करता है.सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण: सी वोटर सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर भी सर्वेक्षण करता है, जैसे कि गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और रोजगार.
डेटा विश्लेषण: सी वोटर सर्वेक्षण डेटा का विश्लेषण करता है और अपनी रिपोर्ट और विश्लेषण प्रकाशित करता है.
चुनावी रणनीति: सी वोटर राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनावी रणनीति बनाने में भी मदद करता है. सी वोटर को भारत की सबसे विश्वसनीय मतदान एजेंसियों में से एक माना जाता है. इसके सर्वेक्षणों को अक्सर मीडिया में उद्धृत किया जाता है और चुनावों के नतीजों की भविष्यवाणी करने में सटीक माने जाते हैं.
निष्कर्ष:
चुनाव परिणामों की संभावनाएं एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें मतदान पूर्व सर्वेक्षण, राय विश्लेषण, एग्जिट पोल, और मतगणना शामिल हैं। यह प्रक्रिया मतदाताओं के रुझानों का अनुमान लगाने और संभावित चुनाव परिणामों का अनुमान लगाने में मदद करती है, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वे केवल अनुमान हैं और वास्तविक परिणामों से भिन्न हो सकती हैं.
(पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय)