Thursday - 31 October 2024 - 4:33 AM

मोर्चे पर प्रियंका – जो रहेगा, काम करेगा, आगे बढ़ेगा

 रश्मि शर्मा

लोकसभा चुनावों में देश भर में और उत्तर प्रदेश में बुरी तरह से शिकस्त खाने के बाद भी प्रियंका गांधी ने मैदान नही छोड़ा है। जहां हार से पस्त राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े हुए हैं वहीं प्रियंका हार न मानते हुए फिर से डटने पर आमादा हैं। प्रियंका गांधी एक बार फिर से दुगुनी ऊर्जा के साथ उत्तर प्रदेश में पारी खेलने की तैयारी में हैं।

पहले तय कार्यक्रम के अनुसार प्रियंका गांधी को इसी महीने शुक्रवार 7 जून से इलाहाबाद में लोकसभा चुनावों की समीक्षा बैठक करनी थी। हालांकि कुछ होमवर्क के चलते यह समीक्षा बैठक फिलहाल टाल दी गयी है। अब प्रियंका गांधी पूर्वी उत्तर प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों का खुद की हिसाब किताब तैयार करवा रही हैं।

टीम प्रियंका से सदस्यों को अलग-अलग लोकसभा सीटों पर भेज उनसे ग्राउंड रिपोर्ट बनवायी जा रही है। समीक्षा के दौरान प्रियंका प्रत्याशी के साथ अलग से बैठ कर अपनी रिपोर्ट के आधार पर बातचीत करेंगी। माना जा रहा है कि जून के तीसरे हफ्ते से समीक्षा बैठकों का दौर शुरु होगा।

इन समीक्षा बैठकों में हारे हुए प्रत्याशी के साथ, सीट प्रभारी, स्थानीय संगठन के पदाधिकारी, संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व पूर्व सांसद, विधाक, विधानपरिषद सदस्य, ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारी वगैरा मौजूद रहेंगे।

नए नेता, नयी शैली और नया कलेवर 

लोकसभा चुनावों की समीक्षा के बाद प्रियंका गांधी प्रदेश सहित कई बड़े शहरों में भी संगठन में व्यापक बदलाव करेंगी। केंद्रीय नेतृत्व के करीबीओं की मानें तो उत्तर प्रदेश में विधायक अजय सिंह लल्लू पर दांव लगाने को प्रियंका गांधी तैयार हैं। इसके साथ ही फतेहपुर से लोकसभा चुनाव लड़े राकेश सचान पर भी विचार हो सकता है। लल्लू का सामाजिक आंदोलनों से जुड़ाव, किसी गुट का न होना व साफ छवि उन्हें मौका दिला सकती है।

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लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उन्हें अभी काम करने को कहा गया है पर केंद्रीय नेतृत्व नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में है। टीम प्रियंका के सदस्यों की मानें तो प्रदेश में एक नए चेहरे को लाया जा सकता है। संभव है कि नया प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस के परंपरात नेताओं से बिलकुल अलग हो और अपनी नयी टीम तैयार करे।

प्रियंका गांधी ने लोकसभा चुनावों में कमजोर प्रदर्शन और न्याय जैसी योजना के जमीन तक न पहुंचने का बड़ा कारण लचर संगठन को माना है। लिहाजा आने वाले दिनों में प्रदेश कांग्रेस से लेकर बड़े शहरों जैसे लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद, गोरखपुर, झांसी, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, गाजियाबाद में संगठन एकदम नया हो सकता है।

जो रहेगा, काम करेगा आगे बढ़ेगा की नीति  

लोकसभा चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर दूसरे दलों से टिकट से वंचित नेताओं ने कांग्रेस का रुख किया था। सपा-बसपा व भाजपा के कई बड़े नेताओं ने कांग्रेस का हाथ थामा था और चुनाव मैदान में उतरे थे। उनमें से ज्यादातर बुरी तरह से चुनाव हार गए हैं। इनमें पूर्व सांसद रमाकांत यादव, भालचंद्र यादव, राजकिशोर सिंह, बालकुमार पटेल, धीरु सिंह, आरके चौधरी, कैसर जहां, जासमीर अंसारी, हरगोविंद रावत, राकेश सचान, हरेंद्र मलिक, कुंवर सर्वराज, नियाज अहमद सहित कई बड़े नाम शामिल थे।

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अब देखना यह होगा कि इनमें से कितने कांग्रेस में टिके रह पाते हैं और कितने वापस कहीं और या पुराने दल में पनाह लेते हैं। प्रियंका की टीम के सदस्य इन दिनों इस बात की भी पूंछताछ इन नेताओं से कर रहे हैं कि इनमें से कितने कांग्रेस में बने रहेंगे।

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस को स्थाई ठिकाना बनाने वाले कई नेताओं को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। आने वाले दिन में बड़े दलों में हाशिए पर चल रहे कुछ नामी गिरामी नेताओं को भी कांग्रेस में लाकर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।

बस चुनिंदा विधानसभा सीटों पर खास ध्यान 

प्रियंका गांधी ने अपनी टीम के सदस्यों से उन विधानसभा सीटों की पहचान करने को भी कहा है जहां करारी हार के बाद भी कांग्रेस को कम से कम 20000 या अधिक वोट मिले हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इस तरह की विधानसभाओं में पहले से प्रत्याशी तय कर उन्हें काम करने को कहा जाएगा। इसके अलावा इन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी ज्यादा से ज्यादा बड़े नेताओं के कार्यक्रम लगाने से लेकर जनांदोलनों पर जोर देगी।

प्रियंका गांधी का इरादा उत्तर प्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनावों में चुनिंदा सीटों पर फोकस कर वहां से बेहतर नतीजे लेने का है। अमेठी-रायबरेली पर खास जोर दिया जा रहा है। अमेठी में अब तक कांग्रेस की कई टीमें भेज कर वहां की हार के कारणों का पता लगाने व व्यापक रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल की हार के बाद भी अमेठी कांग्रेस नेतृत्व की प्राथमिकताओं में है और आने वाले दिनों में प्रियंका व राहुल वहां ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारेंगे।

 

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