अविनाश भदौरिया
सोनभद्र नरसंहार मामले में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा सड़क पर उतरकर संघर्ष करने की ख़बरों ने मृत पड़ी कांग्रेस में एकबार फिर उम्मीदें जगा दी हैं। लेकिन मजबूत संगठन के अभाव में प्रियंका और कांग्रेस यह माहौल कब तक बनाये रखते हैं, यह एक बड़ा प्रश्न है।
एक टीवी चैनल के राजनीतिक संपादक ने अपने ट्विटर पर लिखा कि, प्रियंका गांधी वाड्रा को दरबारी पत्रकारों के झाँसे में नहीं आना चाहिए। इन्हीं पत्रकारों ने राहुल गांधी को भट्टा परसौल के बाद चने के झाड़ पर चढ़ा दिया था। टीवी कैमरों से मिली लोकप्रियता और सुर्खियां क्षणभंगुर है। लेकिन कॉंग्रेस की असली चुनौती यूपी में संगठन दोबारा खड़ा करना है।
हालांकि प्रियंका गांधी सोनभद्र प्रकरण में भाजपा के आलावा अन्य विपक्षी दलों पर भी भारी होती दिख रही हैं।
भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों में कांग्रेस को बढ़त
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की सोनभद्र के पीड़ितों से मिलने की 26 घंटे तक चली जद्दोजहद हताश-नाउम्मीद कांग्रेसियों में उत्साह भरने में कामयाब रही है। साथ ही, भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों में कांग्रेस को फिलहाल बढ़त भी दिला गई है।
प्रियंका गांधी ने चुनार के किले में शनिवार को सोनभद्र में मारे गए लोगों के परिवार से मिलने के बाद कहा कि वह अपने मकसद में कामयाब रहीं।
खुद राष्ट्रीय स्तर पर उनको मिली सुर्खियों को छोड़ भी दिया जाए तो नि:संदेह यूपी में करीब 30 साल से हाशिए पर चल रही कांग्रेस को संजीवनी देने की उनकी कोशिश इस मायने में कामयाब होती दिखी कि दो दिन प्रदेश के कई जिलों में कांग्रेसी सड़क पर उतरते दिखे। नेताओं में प्रियंका के संघर्ष में शामिल होने की होड़ दिखी।
बैकफुट में योगी सरकार
प्रियंका के दौरे के बाद सीएम योगी का सोनभद्र दौरा हुआ है। प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा मचायी गई हलचल का नतीजा यह हुआ कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को रविवार को अपना हैलीकाप्टर उम्भा में उतारकर पीड़ित परिवारों के आंसू पोंछने पड़े। वहां उन्होंने मृतकों के आश्रितों को मुख्यमंत्री कोष से बड़ी रकम मुआवजे के लिए देने की घोषणा की है इसका श्रेय प्रियंका को ही मिलेगा।
प्रियंका ने दिखाई संजीदगी
सीएम योगी के इस दौरे पर प्रियंका गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री के सोनभद्र जाने का मैं स्वागत करती हूं। देर से ही सही, पीड़ितों के साथ खड़ा होना सरकार का फर्ज है। अपना फर्ज पहचानना अच्छा है। उम्भा को लम्बे समय से न्याय की प्रतीक्षा है। अपेक्षा है उम्भा के पीड़ितों को न्याय मिलेगा और उनकी 5 मांगों को माना जाएगा।’
वहीं उन्होंने उम्भा गांव के लोगों से कोई ऐसी बात नहीं कही जिससे वे भड़क उठें। पहले से ही प्रियंका गांधी वाड्रा कह रही थी कि वे केवल उम्भा गांव के लोगो को सांत्वना देने के लिए शांतिपूर्ण ढ़ंग से जाना चाहती हैं और उन्होंने यही किया।
वहीं पीड़ितों का दर्द सुनकर प्रियंका गांधी कई बार भावुकभी हुईं। उन्होंने सोनभद्र में मारे गए 10 लोगों के परिवार से मुलाकात की और कांग्रेस की तरफ से पीड़ित परिवारों को 10-10 रुपये की सहायता देने का ऐलान भी किया।
समाजवादी पार्टी भी नींद से जागी
प्रियंका गांधी के दौरे के बाद सूबे की प्रमुख पार्टी में से एक समाजवादी पार्टी भी नींद से जागी और पार्टी ने एलान कियाकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर जनपद सोनभद्र की ग्रामसभा मूर्तिया (उम्भा) गांव में 17 जुलाई 2019 को हुए भीषण नरसंहार के विरोध और उसके पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए समाजवादी पार्टी 23 जुलाई 2019 को सोनभद्र कूच करेगी।
हालांकि इससे पहले अखिलेश यादव ने इस हत्याकाण्ड की निंदा करते हुए कहा कि ग्राम प्रधान और प्रशासन की मिली भगत से आदिवासियों को, जो वर्षों से वहां खेती कर रहे थे, बेदखल करने के लिए यह जघन्य अपराध हुआ है।
क्या है सोनभद्र नरसंहार की कहानी
विगत 17 जुलाई 2019 को भूमाफियाओं ने जनपद सोनभद्र में थाना घोरावल के ग्राम उम्भा में 112 बीघा जमीन पर कब्जे को लेकर दस लोगों की गोली मारकर नृशंस हत्या कर दी थी और कई लोगों को घायल कर दिया।
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