उत्कर्ष सिन्हा
अपने चुनावी अभियान को लगातार धार दे रही प्रियंका गांधी रविवार को जब गोरखपुर में रैली को संबोधित कर रही होंगी तो उनके निशाने पर स्वाभाविक तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ होंगे और संदेश यही होगा कि भाजपा से आँख में आँख डाल कर सिर्फ कांग्रेस ही लड़ रही है।
यूपी के अपने चुनावी अभियान के तहत प्रियंका ने अपनी पहली रैली नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में की थी और तब वहाँ जुटी भारी भीड़ ने यूपी में कांग्रेस को कमजोर मान चुके सियासी पंडितों को चौंका दिया था। प्रियंका की दूसरी रैली जब गोरखपुर में है तो भी तैयारियां कमोबेश इसी तरह की हैं।
गोरखपुर में 90 के दशक के बाद से ही कांग्रेस गोरखपुर के चुनावी राजनीति में हाशिये पर पड़ी है। वीर बहादुर सिंह के बाद से जिले में कोई कद्दावर नेता कांग्रेस ने नहीं देखा है।
गोरखपुर शहर में कांग्रेस का विधायक आखिरी बार 1985 में बना था जब सुनील शास्त्री यहाँ दूसरी बार जीते थे, इसके बाद से यह सीट लगातार भाजपा के कब्जे में रही है वही कांग्रेस से आखिरी बार सांसद का चुनाव 1985 में मदन पाण्डेय ने जीता था।
गोरखपुर की रैली जिस चम्पा देवी पार्क में होने वाली है वह रामगढ़ ताल के किनारे है और पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह की पत्नी के नाम पर इसका नामकरण हुआ है। रैली स्थल का चुनाव भी कांग्रेस ने रणनीतिक रूप से किया है क्योंकि लंबे समय से गोरखपुर के विकास का प्रतीक रामगढ़ ताल परियोजना की नीव भी कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री रहे स्व. वीर बहादुर सिंह ने ही रखी थी।
रामगढ़ ताल परियोजना में ही नई हाई राईज बिल्डिंग्स वाला नया शहर, चिड़ियाघर, तारामंडल, प्रेक्षागृह, सर्किट हाउस सहित कई सरकारी दफ़तर बने हैं। वीर बहादुर सिंह के समय निधन ने इस परियोजना को काफी पीछे कर दिया था और इसे विकसित होने में करीब तीन दशक का समय लग गया।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि गोरखपुर में विकास की एक बड़ी तस्वीर कांग्रेसी सरकार के समय ही उभरी थी जब इस इलाके में राप्तीनगर, झारखंडी महादेव, चारुचंद्र पुरी और नेताजी सुभाष नगर जैसी बड़ी आवासीय योजनाएं, गीड़ा के रूप में पहला औद्योगिक नगर, धुरियापार में आधुनिक चीनी मिल और खजनी में कारखाने जैसे काम कांग्रेस की सरकार में ही हुए थे।
लेकिन उसके बाद शहर में विकास का स्वरूप बदल गया और अब शहर के पाश इलाके जल जमाव का केंद्र बन गए हैं। नगर विधायक और सांसद को भी हर साल घुटने भर पानी में घूमना पड़ता है।
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इस रैली के दौरान प्रियंका गांधी जब जनता को संबोधित करेंगी तो जाहिर है कि कांग्रेस के शासन काल में गोरखपुर में हुए विकास का जिक्र करना नहीं भूलेंगी और साथ ही भाजपा के बीते 5 सालों के शासन के विकास माडल को चुनौती भी देंगी।
साथ ही साथ प्रियंका अपनी प्रतिज्ञा यात्राओं में किये गए वादों को भी दोहराएगी।
रैली के संयोजन में जुटे यूपी कांग्रेस के उपाध्यक्ष विश्वविजय सिंह का दावा है कि इस रैली में जुटने वाली भीड़ लाखों में होगी और बीते कई सालों में किसी भी राजनैतिक नेता की इतनी बड़ी रैली गोरखपुर में नहीं हुई है।यहाँ तक कि 2014 में हुई नरेंद्र मोदी की रैली की रैली में भी इतने लोग नहीं शामिल हुए होंगे जितने रविवार को चम्पा देवी पार्क में जुटेंगे।
बीते दिनों योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस इलाके में ताबड़तोड़ विकास कार्यों का लोकार्पण किया है और इन कार्यक्रमों के जरिए वे योगी सरकार के विकासोन्मुख माडल को चर्चा में ला रहे हैं। कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, लंबे समय से बंद पड़े खाद कारखाने को चलाना, शहर में नया मेडिकल कालेज और मिनी एम्स जैसी कई परियोजनाओं का श्रेय योगी सरकार ने लिया है।
सियासी तौर पर तीस सालों से कमजोर रही एक सियासी जमीन पर प्रियंका उतारने जा रही हैं तब यह देखना भी दिलचस्प होगा कि कांग्रेस संगठन के पुनर्निर्माण के दावे कितने मजबूत हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लालू और उपाध्यक्ष विश्वविजय सिंह इस रैली को कामयाब बनने में जी जान से जुटे हैं क्योंकि पूर्वाञ्चल का यह इलाका इन दोनों नेताओं का गृह क्षेत्र भी है और यहाँ की कामयाबी से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का मनोबल भी बढ़ेगा।