न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को फिर से जिंदा करने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा लगातार प्रयास कर रही हैं। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद उत्तर प्रदेश गांधी परिवार और प्रियंका के लिए नाक की लड़ाई बन गई है। प्रियंका अपनी इस लड़ाई में बीजेपी और यूपी की योगी सरकार से अकेले लोहा ले रहीं हैं। इसीलिए चाहे बात कानून व्यवस्था की हो या बात शिक्षामित्रों और आंगनवाड़ी आशा सहयोगिनी कार्यकर्ता की हो प्रियंका लगातार योगी सरकार को घेर रहीं हैं और पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से कांग्रेस महासचिव एक्टिव हैं उससे ऐसा संदेश जा रहा है कि मानो प्रदेश में मुख्य विपक्ष सपा या बसपा नहीं बल्कि कांग्रेस है।
अभी ताजा मामला सोनभद्र का है, जहां जमीनी विवाद में 10 लोगों की हत्या कर दी गई। विपक्षी दलों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सपा ने राज्यसभा और विधानसभा में बीजेपी सरकार को घेरा लेकिन पार्टी का कोई भी बड़ा नेता सोनभद्र नहीं गया। लेकिन इस बीच प्रियंका ने घटनास्थल पर जाने का फैसला किया है।
इससे पहले उन्होंने कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल को जिला अस्पताल और घोरावल थानांतर्गत मूर्तियां गांव भेजा, जहां लल्लू की टीम ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। लल्लू ने बयान जारी कर कहा है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी जल्दी ही पीड़ित परिवारों से मिलेंगी।
विधान मंडल दल के नेता ने कहा कि जमीन विवाद कह कर भाजपा सरकार और प्रशासन पीड़ितों के जले पर नमक छिड़क रहे हैं। यह जमीनी विवाद नहीं, बल्कि सामूहिक नरसंहार है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय के लोग लंबे समय से अपनी जान माल की सुरक्षा को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक गुहार लगाते रहे हैं, लेकिन उसे अनदेखा किया गया।
घटना के दो दिन पहले भी आदिवासियों ने प्रशासन को अवगत कराया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रतिनिधिमंडल ने दावा किया कि घटना स्थल पर जब भूमाफिया गोलीबारी कर रहे थे, पीड़ितों ने यूपी 100 पर फोन किया लेकिन पुलिस साजिशन देर से पहुंची।
लल्लू ने आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि इतना नृशंस नरसंहार होने के बाद भी प्रशासन मृतक आदिवासियों के शव घुमाता रहा और बाद में पीड़ित परिवारों पर दबाव बनाकर दाह संस्कार करा दिया। उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण पर उन्होंने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को भेज दी है।
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता ने सरकार से मृतकों के परिजनों को 25-25, घायलों को 15-15 लाख मुआवजा देने, जमीन का पट्टा आवंटित करने की मांग की। लल्लू ने इस घटना की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के नेतृत्व में न्यायिक जांच कराने की मांग की। बता दें कि सोनभद्र में 10 लोगों की हत्या कर दी गई थी।
बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बुधवार को 200 बीघा जमीन विवाद के बाद ग्राम प्रधान और ग्रामीणों के बीच हुई लड़ाई में एक ही पक्ष के 10 लोगों हत्या कर दी गई थी। इस नरसंहार में ग्राम प्रधान सहित 11 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले में ग्राम प्रधान के भतीजे समेत 24 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। हालांकि, मुख्य आरोपी प्रधान अभी फरार है। इस जमीन पर कब्जे को लेकर गुर्जर (भूर्तिया) और गोड़ बिरादरी के लोगों के बीच विवाद चल रहा था।
खबरों की माने तो 16 जुलाई को जमीन पर कब्जा करने के लिए 32 ट्रैक्टर-ट्रालियों में भरकर प्रधान समेत 300 लोग पहुंचे थे। इस दौरान गांव के पक्ष भी वहां पहुंच गए। इसके बाद बात बेखौफ दबंगों ने जमीन की खातिर दिनदहाड़े ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर 10 लोगों की हत्या कर दी।
पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने बताया कि सोनभद्र के घोरावल थाना क्षेत्र के उधा गांव में दो साल पहले ग्राम प्रधान यज्ञदत्त ने एक बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी से 90 बीघा जमीन खरीदी थी। यज्ञदत्त ने इस जमीन पर कब्जे के लिये बड़ी संख्या में अपने साथियों के साथ पहुंचकर ट्रैक्टरों से जमीन जोतने की कोशिश की। स्थानीय ग्रामीणों ने इसका विरोध किया। इसके बाद ग्राम प्रधान पक्ष के लोगों ने स्थानीय ग्रामीणों पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं।
पुलिस महानिदेशक ने बताया कि पुलिस ने जमीन के विवाद में ग्राम प्रधान पक्ष को पूर्व में भी पाबंद किया था और उसकी सम्पत्ति कुर्क करने की कार्रवाई भी मजिस्ट्रेट के यहां चल रही है। उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद मध्य प्रदेश पुलिस को भी सतर्क कर दिया गया है। जरूरत पड़ने पर जमीन बेचने वाले आईएएस अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल, आदिवासी बाहुल इस गांव में लोगों की जीविका का साधन सिर्फ खेती है। ये भूमिहीन आदिवासी सरकारी जमीन जोतकर अपना गुजर-बसर करते आए हैं, जिस जमीन के लिए यह संघर्ष हुआ उस पर इन आदिवासियों का 1947 के पहले से कब्ज़ा है। 1955 में बिहार के आईएएस प्रभात कुमार मिश्रा और तत्कालीन ग्राम प्रधान ने तहसीलदार के माध्यम से जमीन को अद्रश कोआपरेटिव सोसाइटी के नाम करा लिया। चूंकि उस वक्त तहसीलदार के पास नामांतरण का अधिकार नहीं था, लिहाजा नाम नहीं चढ़ सका।
इसके बाद आईएएस ने 6 सितंबर, 1989 को अपनी पत्नी और बेटी के नाम जमीन करवा लिया। जबकि कानून यह है कि सोसाइटी की जमीन किसी व्यक्ति के नाम नहीं हो सकती। इसके बाद आईएएस ने जमीन का कुछ हिस्सा बेच दिया। इस विवादित जमीन को आरोपी यज्ञदत्त ने अपने रिश्तदारों के नाम करवा दिया। बावजूद इसके उस पर कब्ज़ा नहीं मिल सका। इसके बाद बुधवार को करीब 300 की संख्या में हमलावारों के साथ आए ग्राम प्रधान ने यहां खून की होली खेली।
रोंगटे खड़े कर देने वाली यह वारदात हाल के वर्षों में प्रदेश में हुई सबसे ज्यादा रक्तपात वाली घटना है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने घटना का संज्ञान लेते हुए मिर्जापुर के मण्डलायुक्त और वाराणसी जोन के अपर पुलिस महानिदेशक को घटना के कारणों की संयुक्त रूप से जांच करने के निर्देश दिये हैं। साथ ही लापरवाही सामने आने पर जिम्मेदारी तय करते हुए 24 घण्टे में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिये हैं।
साथ ही योगी ने इस घटना में मारे गये लोगों के परिजन को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता का एलान किया है। उन्होंने जिलाधिकारी सोनभद्र को निर्देश दिए हैं कि वह बताएं कि ग्रामवासियों को पट्टे आखिर क्यों मुहैया नहीं कराए गए थे।