न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश में 11 सीटों पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव होना है। सभी दल विभिन्न समीकरणों को देख-समझकर प्रत्याशी तय कर रहे हैं। योगी सरकार ने हर सीट के लिए अपनी कैबिनेट के मंत्री को जिम्मेदारी सौंप कर इस बात के संकेत दे दिए हैं कि वे उपचुनाव को हल्के में नहीं ले रहें हैं।
वहीं, दूसरी ओर देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस प्रियंका गांधी वाड्रा के भरोसे मैदान में उतर रही है। यूपी कांग्रेस की जिम्मेदारी संभाल रही प्रियंका ने इस बार अपनी रणनीति बदली है। उन्होंने ‘खांटी’ और ‘धुरंधर’ कांग्रेसियों के भरोसे बार-बार मिल रही हार के बाद अब युवा कंधों पर भरोसा जताया है।
यूपी में युवाओं को अपना सबसे बड़ा अस्त्र बनाकर प्रियंका सियासत की जंग जीतने का प्लान बनाया है और इसी के तहत उपचुनाव में अधिकांश युवाओं को मैदान में उतारा है। इस प्रयोग के परिणाम आगे की दिशा तय करेंगे।
अमूमन फैसलों पर बहुत ठंडा रुख रखने वाली कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए 11 में से 10 प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इस बार कांग्रेस ने संगठन में युवाओं को तरजही दी है। प्रदेश प्रभारी व राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा चाहती हैं कि पार्टी में युवा नेतृत्व बढ़े। उदाहरण सामने है।
कानपुर की गोविंद नगर सीट से प्रत्याशी करिश्मा ठाकुर और घोसी से उम्मीदवार राजमंगल यादव की उम्र तीस से भी कम है। वहीं, हमीरपुर से हरदीपक निषाद, लखनऊ कैंट से दिलप्रीत सिंह, जैदपुर से तनुज पूनिया, इगलास से उमेश कुमार दिवाकर, मानिकपुर से रंजना पांडेय और प्रतापगढ़ प्रत्याशी नीरज त्रिपाठी चालीस वर्ष से कम उम्र के हैं।
इस फैसले को लेकर पार्टी के दो नजरिए हैं। एक तो यह युवा प्रत्याशी जीते तो इनके साथ नई पीढ़ी कांग्रेस के साथ जुड़ेगी। यदि उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं भी मिलती है तो कम से कम युवाओं में यह भरोसा तो जिंदा होगा कि पार्टी युवाओं को तरजीह दे रही है। नया नेतृत्व भी तैयार होगा।
पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि यह प्लान सफल होने पर संगठन में भी युवाओं की भागीदारी बढ़ेगी। साथ ही 2022 के विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह टिकट वितरण होगा।