उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी जमीन तलाश रही कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा को राजनीति में उतार कर मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। प्रियंका के पार्टी महासचिव और पूर्वी यूपी का प्रभारी बनाने के बाद से ही कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का आत्मविशवास बढ़ा हुआ है।
हालांकि, यूपी में कांग्रेस की नई टीम को खुद को साबित करने के लिए काफी कम वक्त बचा है। इसलिए कांग्रेस उन निर्वाचन क्षेत्रों पर खास ही ध्यान रख रही है, जहां वह जीतने के लिए चुनाव लड़ सकती है।
सोनिया गांधी – रायबरेली लोकसभा सीट
यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी लोकसभा चुनाव में रायबरेली संसदीय सीट से ही चुनाव मैदान में उतर सकती हैं। सोनिया गांधी रायबरेली सीट से 1999 से लगातार लोकसभा सांसद के तौर पर जीत रहीं हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने रायबरेली से सोनिया गांधी के सामने अजय अग्रवाल को मैदान में उतारा था। मोदी लहर के बावजूद वो सोनिया के सामने कड़ी चुनौती पेश नहीं कर सके थे… बीजेपी को करीब पौने दो लाख वोट मिले थे।
राहुल गांधी – अमेठी लोकसभा सीट
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ते हैं। इस सीट को गांधी परिवार का ‘गढ़’ भी कहा जाता है। 1980 में पहली बार इस संसदीय सीट से संजय गांधी ने जीत हासिल की तो ये सिलसिला अब तक जारी है। संजय गांधी के बाद राजीव गांधी, फिर सोनिया गांधी और अब राहुल गांधी इस सीट से लोकसभा में पहुंच रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी से कड़ी चुनौती मिली। फिर इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में अमेठी की चार में से सभी विधानसभा सीटें हार गई।
राज बब्बर – फतेहपुर सीकरी
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर आगरा में वापसी की तैयारी कर रहे हैं। राज बब्बर को पार्टी फतेहपुर सीकरी से लोकसभा का चुनाव लड़वा सकती है। 2014 के चुनाव में बीजेपी ने यहां से एक तरफा जीत दर्ज की थी और चौधरी बाबूलाल चुनाव जीत कर आए थे। फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट 2008 में अस्तित्व में आई थी। 2009 के आम चुनाव में बसपा की सीमा उपाध्याय ने जीत हासिल किया था।
आरपीएन सिंह – कुशीनगर लोकसभा सीट
कुशीनगर लोकसभा सीट से पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और पडरौना रियासत के महाराजा कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह को कांग्रेस उम्मीहदवार बना सकती है। आरपीएन सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव में इस से चुनाव लड़ा था और वह बीजेपी के राजेश पांडेय से हारकर दूसरे स्थान पर रहे थ। हालांकि, 2009 में पहली बार सांसद चुने गए थे।
जितिन प्रसाद- धौरहरा लोकसभा सीट
धौरहरा लोकसभा सीट सीतापुर जिले के अंतर्गत आती है। 2009 में यहां पहली बार चुनाव हुए तो कांग्रेस नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद चुनाव जीते थे। लेकिन अगले ही चुनाव में चली मोदी लहर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब 2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन होने के साथ इस सीट पर कांटे की टक्कवर होने की उम्मीद है। बता दें कि सीतापुर जिला देश के 250 सबसे पिछड़े जिलों में से एक है।
प्रमोद तिवारी– प्रयागराज
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी को पार्टी इस बार प्रयागराज सीट से चुनाव मैदान में उतार सकती है। प्रयागराज सीट कभी कांग्रेस का गढ़ थी। इस सीट से लाल बहादुर शास्त्री, हेमवती नंदन बहुगुणा, पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह और अमिताभ बच्चन और मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज यहां से सांसद रह चुके हैं। पूरब के ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने देश को चार-चार प्रधानमंत्री दिए हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के श्याम चरण गुप्ता जीते थे।
ललितेश पति त्रिपाठी – मिर्जापुर
मिर्ज़ापुर लोकसभा सीट पर सभी की निगाहें औरंगाबाद हाउस के नाम से प्रसिद्ध त्रिपाठी परिवार पर लगी है। जिले के सियासत में पिछले चार दशकों से इस परिवार ने अच्छी खासी मौजूदगी रही है। इस परिवार से ललितेश पति त्रिपाठी के चुनावी मैदान में आने की चर्चा जोरों पर है। जनता के बीच ललितेश पति त्रिपाठी की लोकप्रियता भी है। ललितेश लोकसभा चुनाव 2014 में कॉग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन वह एक लाख 52 हजार के करीब मत पाकर वह तीसरे स्थान पर रहे। बीजेपी और अपना दल गठबंधन से प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल को जीत हासिल हुई थी।
इमरान मसूद – सहारनपुर लोकसभा सीट
सहारनपुर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बड़ी लोकसभा सीटों में से एक है। कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष इमरान मसूद को पार्टी सहारनपुर लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बना सकती है। 2014 में यहां भारतीय जनता पार्टी का सीधा मुकाबला कांग्रेस के इमरान मसूद से था। राघव लखनपाल शर्मा को देशभर में चल रही मोदी लहर का बड़ा फायदा मिला था। लखनपाल ने इमरान मसूद को 65 हजार से अधिक वोटों से हराया था। राखव लखनपाल शर्मा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भतीजे हैं। सपा-बसपा क गठबंधन के बाद इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
सलमान खुर्शीद – फर्रूखाबाद लोकसभा सीट
कांग्रेस के वरिष्ठब नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद फर्रूखाबाद से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। 2009 में हुए आमचुनावों में सलमान खुर्शीद ने यहां से जीत हासिल की थी, लेकिन 2014 में बीजेपी के मुकेश राजपूत से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी।
रानी रत्ना सिंह – प्रतापगढ़ लोकसभा सीट
राजुकमारी रत्ना सिंह: प्रतापगढ़ की सियासत राजाभैया और राजकुमारी रत्ना सिंह के इर्द-गिर्द घूमती है. दोनों घरानों की लोगो में अच्छी पैठ है। राजकुमारी रत्ना सिंह कांग्रेस से हैं। 2014 के चुनाव में रत्ना सिंह को मोदी लहर में अपनादल के कुंवर हरिवंश सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस इस बार भी रानी रत्नी सिंह को प्रतापगढ़ से मैदान में उतार सकती है।
केशव चंद्र यादव- बलिया लोकसभा सीट
कांग्रेस बलिया लोकसभा सीट केशव चंद्र यादव को मैदान में उतार सकती है। केशव चंद्र यादव युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
श्री प्रकाश जायसवाल – कानपुर लोकसभा सीट
कांग्रेस से पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल भी कानपुर से टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी को मैदान में उतारकर कांग्रेस की ओर से जीत की हैट्रिक लगा चुके श्रीप्रकाश जायसवाल को करारी मात दे दी थी।
अनु टंडन – उन्नाव लोकसभा सीट
उन्नाव से सांसद रह चुकीं अनु टंडन पर कांग्रेस एक बाद फिर दांव लगा सकती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में अनु टंडन के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने साक्षी महाराज को मैदान में उतारा था. साक्षी महाराज ने अनु टंडन को शिकस्त देकर यहां कमल खिलाया था।
पीएल पुनिया – बाराबंकी लोकसभा सीट
कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया को पार्टी बाराबंकी से मैदान में उतार सकती है। साल 2014 में बीजेपी की महिला उम्मीदवार प्रियंका रावत ने पी एल पुनिया को मात दी थी।
डॉ. संजय सिंह: सुल्तानपुर लोकसभा सीट
पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद डॉ. संजय सिंह को कांग्रेस सुल्तानपुर लोकसभा का टिकट दे सकती है। अभी सुल्तानपुर से बीजेपी के दिग्गज नेता वरुण गांधी सांसद हैं।
निर्मल खत्री – फैज़ाबाद लोकसभा सीट
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. निर्मल खत्री को पार्टी फैज़ाबाद से लोकसभा चुनाव में मैदान में उतार सकती है। फैजाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी के लल्लू सिंह सांसद हैं. लल्लू सिंह ने साल 2014 में सपा को हराकर ये सीट अपने नाम की थी।
प्रदीप जैन आदित्य – झांसी लोकसभा सीट
2009 से 2014 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस उन पर एक बार फिर से भरोशा जताते हुए उन्हें झांसी की लोकसभा सीट से मैदान में उतार सकती है।
बादशाह सिंह – हमीरपुर लोकसभा सीट
बुंदेलखंड के कद्दावर नेता बादशाह सिंह हमीरपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान मे उतर सकते हैं। सूत्रों की माने तो चार बार के विधायक और बसपा शासनकाल में श्रम मंत्री रहे हैं बादशाह सिंह पर कांग्रेस चुनावी दांव खेल सकती है।