मल्लिका दूबे
पूर्वी यूपी में कांग्रेस को अर्श से फर्श पर ले जाने की जिम्मेदारी उठाने वाली प्रियंका गांधी ने चुनावी अभियान के पहले चरण में यूपी के प्रमुख धर्मस्थलों से अपनी बात जनता तक पहुंचा रही है। प्रयाग-काशी से होकर शुक्रवार को रामलला की नगरी अयोध्या पहुंची प्रियंका का अगला ठौर कहीं गोरक्षभूमि यानी गोरखपुर तो नहीं होगा? इसे लेकर अटकलों का बाजार गर्माने लगा है। प्रियंका का चुनावी टारगेट बीजेपी के किलों को ध्वस्त करना है और बीजेपी के लिए पूर्वी यूपी में काशी, अयोध्या के बाद गोरखपुर धार्मिक दृष्टि से सबसे मजबूत क्षेत्र माना जाता है।
टारगेट पर गोरखपुर खास क्यों
वर्ष 2009 के चुनाव में पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने वर्ष 1984 के बाद ठीकठाक प्रदर्शन किया था। इसके बावजूद गोरक्षपीठ के सीधे प्रभाव वाले जिले यानी गोरखपुर में दोनों संसदीय सीटें (गोरखपुर और बांसगांव) पर भाजपा का कब्जा बरकरार था। गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ वर्ष 1998 से ही बेहद प्रभावी बने हुए हैं। उप चुनाव में भाजपा को मिली शिकस्त के इतर, योगी इस संसदीय क्षेत्र से लगातार पांच बार जीत दर्ज कर चुके हैं।
प्रियंका के आने से और गड़ी होगी सीएम के सामने चुनौती
सूबे के वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ का गृहक्षेत्र होने से यहां बीजेपी के बेहतर प्रदर्शन को लेकर उनके सामने चुनौती है। पूर्वी यूपी में चुनावी पारे को ऊंचाई पर ले जा रही प्रियंका अगर काशी-अयोध्या के बाद अगला ठौर गोरक्षभूमि को बनाती हैं तो योगी के सामने चुनौती आैर तगड़ी हो जाएगी। गोरक्षपीठ इस क्षेत्र के हिंदुओं की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। प्रियंका पूर्वांचल के हिंदू धर्मस्थलों पर दस्तक देकर चुनावी अभियान को प्रो-कांग्रेस बनाने के अभियान में हैं। माना जा रहा है कि यदि प्रियंका गांधी गोरक्षपीठ पर भी दर्शन का कार्यक्रम तय करती हैं तो बीजेपी खेमे में खलबली मच जाएगी। हालांकि प्रियंका का गोरखपुर क्षेत्र में आने की बात अभी तक अटकलों में है लेकिन उनके यहां आने पर कांग्रेस को आसपास की संसदीय सीटों पर मजबूती मिल सकती है।