न्यूज डेस्क
कांग्रेस पार्टी को देश की आजादी के आंदोलन से जोड़कर देखा जाता है, जिस कांग्रेस के सामने कभी कोई सियासी पार्टी सिर तक नहीं उठा पाती थी। पूरब से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण जिस कांग्रेस का कभी एकछत्र राज था, वही कांग्रेस आज चंद राज्यों तक सिमट कर रह गई है और आज वह खुद कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों की बैसाखी पर निर्भर हो चली है।
एक के बाद एक हार से बेजार लगभग मृतप्राय हो चुकी कांग्रेस ने साल 2019 के आम चुनाव से पहले सियासत में नेहरू- गांधी परिवार की प्रियंका गांधी को लॉन्च किया। कांग्रेस में नई जान फूंकने की कोशिश कर रही प्रियंका आज 48 साल की हो गईं।
कभी पार्टी का गढ़ रहे, लेकिन अब सबसे कठिन उत्तर प्रदेश की सियासत में प्रियंका गांधी काफी सक्रिय भी हैं। लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन और राहुल गांधी के अमेठी संसदीय सीट से हारने के बाद प्रियंका गांधी के राजनीतिक कौशल पर सवाल उठने लगे थे। लेकिन उसके बाद जिस तरह से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस में बदलाव किया और नया संगठन खड़ा किया, उसे देखकर कांग्रेसियों के अंदर एक उम्मीद जग गई है।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आंदोलन के दौरान लखनऊ में गिरफ्तार पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी और कांग्रेस कार्यकर्ता सदफ जाफरी से मुलाकात के लिए लखनऊ में स्कूटी पर सवार होकर उनके घर जाना हो, या विरोध के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों से मिलने उनका दर्द बांटना। प्रियंका जमीन पर उतरी हैं और उनकी कोशिश पार्टी के तेवर को धार देने की रही है।
प्रियंका को शायद इसी मकसद के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। वह लगातार लोगों के बीच जा रही हैं और कांग्रेस के लिए यूपी में जमीन तैयार कर रही हैं। सोनिया गांधी हों या राहुल गांधी, गांधी परिवार के किसी भी नेता को हाल के दिनों में इतना एक्टिव नहीं देखा गया है।
माना जा रहा है कि यूपी विधानसभा चुनावों से पहले वह पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट कर अपने दम कांग्रेस को चुनाव लड़ाना चाहती हैं। हालांकि उनके सामने चुनौती सिर्फ विरोधियों की नहीं बल्कि संगठन को धार देने की भी है। प्रियंका ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के जिला और शहर अध्यक्षों की नई टीम तैयार की है। इसके लिए उन्हें पुराने कांग्रेसियों से बैर भी मोल लेनी पड़ी है।
प्रियंका यूपी की योगी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहीं, साथ ही उनका ध्यान संगठन पर भी है। उन्होंने यूपी में पार्टी का सांगठनिक ढांचा ही बदलकर रख दिया है। जमीनी नेताओं में गिने जाने वाले अजय कुमार लल्लू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया और कार्यकर्ताओं से भी संवाद किया।
पिछले कुछ महीनों में प्रियंका की सक्रियता में एसी रूम पॉलिटिक्स की बन चुकी इमेज को तोड़कर पार्टी को सड़क और आम जनता के बीच लेकर गई हैं। प्रियंका की यह कोशिश कितना रंग लाती है, यह देखने वाली बात होगी।
कांग्रेस के संगठन को मजबूत और व्यापक बनाने के प्रयास में जुटीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा 12 जनवरी को अपना जन्मदिन अमेठी में मनाएंगी। इस मौके पर पर वरिष्ठ कांग्रेसियों को सम्मानित भी करेंगी। प्रियंका इसके बाद अपनी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में जिलाध्यक्षों और शहर अध्यक्षों के लिए प्रशिक्षण शिविर 16 से लेकर 19 जनवरी तक चलाने जा रही हैं।
कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने बताया कि प्रियंका ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रशासन प्रभारी सिद्धार्थ प्रिय को एक पत्र जारी किया है जिसमें, उन्होंने रायरबेली के चार दिवसीय दौरे के दौरान 16 से 19 जनवरी तक कांग्रेस के जिला व शहर अध्यक्षों को दो-दो दिन प्रशिक्षण दिए जाने की जानकारी दी है। उनके इस दौरे को लेकर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी बेहद सक्रिय है।
प्रियंका अपने चार दिवसीय दौरे में दो दिन पूर्वी यूपी और दो दिन पश्चिमी यूपी के सभी शहर और जिला अध्यक्षों से मिलेंगी और उन्हें प्रशिक्षण दिलाएंगी। चारों दिन प्रियंका प्रशिक्षण कार्यक्रम में मौजूद रहेंगी। कार्यक्रम के लिए निर्धारित प्रत्येक विषय को समझाने के लिए विशेषज्ञ भी आमंत्रित किए गए हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, 16 और 17 जनवरी को पूर्वी यूपी और 18 और 19 को पश्चिमी यूपी के जिला अध्यक्षों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। नई टीम को प्रियंका गांधी पार्टी के गौरवशाली इतिहास से परिचित कराने के साथ दो-दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में एनआरसी, एनपीआर और सीएए जैसे मुद्दों पर विस्तार से पार्टी के रुख की जानकारी देंगी।