जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी लगातार सक्रिय है। उन्होंने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराकर सूबे की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। प्रियंका कई मौकों पर योगी से तीखे सवाल कर रही है। उन्होंने प्रवासी मजदूरों को लेकर योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
इसके बाद से ही प्रियंका लगातार योगी सरकार पर अपना सख्त रूख अपना रखा है। प्रियंका गांधी ने अब कानपुर शेल्टर होम को लेकर योगी सरकार को घेरा है। उन्होंने इस मामले में शुक्रवार को एक ट्वीट किया है और करारा हमला बोलते हुए कहा कि वह इंदिरा गांधी की पोती हैं, कोई अघोषित भाजपा प्रवक्ता नहीं।
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.. जो भी कार्यवाही करना चाहते हैं, बेशक करें। मैं सच्चाई सामने रखती रहूँगी। मैं इंदिरा गांधी की पोती हूँ, कुछ विपक्ष के नेताओं की तरह भाजपा की अघोषित प्रवक्ता नहीं।..2/2
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) June 26, 2020
प्रियंका गांधी ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि ‘जनता के एक सेवक के रूप में मेरा कर्तव्य यूपी की जनता के प्रति है. मेरा कर्तव्य सच्चाई को उनके सामने रखने का है। किसी सरकारी प्रॉपेगेंडा को आगे रखना नहीं है। यूपी सरकार अपने अन्य विभागों द्वारा मुझे फिजूल की धमकियां देकर अपना समय व्यर्थ कर रही है।
जनता के एक सेवक के रूप में मेरा कर्तव्य यूपी की जनता के प्रति है, और वह कर्तव्य सच्चाई को उनके सामने रखने का है। किसी सरकारी प्रॉपगैंडा को आगे रखना नहीं है। यूपी सरकार अपने अन्य विभागों द्वारा मुझे फिज़ूल की धमकियाँ देकर अपना समय व्यर्थ कर रही है।..1/2
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) June 26, 2020
बता दें कि कानपुर के स्वरूपनगर स्थित राजकीय बालगृह (बालिका) में सात संवासिनियों के गर्भवती होने का मामला लगातार सुर्खियों में है। इस मामले को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। पूरे विपक्ष ने एक साथ योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
शेल्टर होम में 33 लड़कियों के कोरोना संक्रमित पाए जाने और दो नाबालिग लड़कियों के 8 महीने के गर्भवती होने की जानकारी सामने आयी थी। यह खबर सामने आने के बाद हड़कम्प मचा तो एक्शन के बजाय प्रशासनिक स्तर पर खबर को निराधार बताने का काम शुरू हो गया लेकिन कानपुर के एसएसपी ने कहा था कि कोरोना संक्रमितों की संख्या 33 नहीं 57 है और गर्भवती लड़कियों की संख्या भी दो नहीं बल्कि सात है।
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उधर इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी सख्त नजर आ रही है। आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस भेजा था। आयोग ने सूबे के मुख्य सचिव और डीजीपी से इस मामले में जवाब मांगा गया था। इसके अलावा इस मामले में राज्य महिला आयोग ने भी कानपुर डीएम से रिपोर्ट मांगी थी।
बता दें कि प्रशासन की जांच रिपोर्ट में बेहद चौंकाने वाला खुलासा सामने आ रहा था। जांच में पाया गया था कि 171 में से सात गर्भवती और 57 कोरोना की चपेट में है। सबसे जरूरी बात यह है कि सात गर्भवती में से छह की उम्र 18 साल से कम बतायी जा रही है।