जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार, ठेकेदारी-घोटाला सामाजिक न्याय में कटौती और एसटीएफ जांच में मनमानी को लेकर विपक्ष ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज ट्वीट कर सरकार को आगाह किया है कि इस मुद्दे पर सूबे का युवा वर्ग चुप नहीं बैठेगा.
इसी मुद्दे पर कल उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस के चेयरमैन शिव नारायण सिंह ने यूपी सरकार के वरिष्ठ मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह को कटघरे में खड़ा किया था. शिवनारायण सिंह ने सिद्धार्थ नाथ सिंह के प्रतिनिधि और विश्व हिन्दू परिषद के नेता चन्द्रमा यादव का चेहरा पेश करते हुए बताया था कि शिक्षक भर्ती घोटाले का फरार आपका प्रतिनिधि है. अब प्रेस कांफ्रेंस कर बयान दीजिये कि जून में आपके प्रतिनिधि घोटाला करके भागते ही हैं.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का ट्वीट आज दिन भर प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा का केन्द्र बना रहा. उन्होंने लिखा कि भर्तियों के तंत्र में भारी भ्रष्टाचार है. धांधली, गलत नियमों, सामाजिक न्याय में कटौती व भर्ती माफियाओं के चलते भर्तियाँ रद्द हो जाती हैं या कोर्ट में लटक जाती हैं. प्रियंका ने योगी सरकार को ललकारते हुए कहा है कि अब युवाओं ने ठाना है वे चुप नहीं बैठेंगे. वे भर्ती व्यवस्था में बदलाव करके दम लेंगे.
यूपी में भर्तियों के तंत्र में भारी भ्रष्टाचार है।
धांधली, गलत नियमों, सामाजिक न्याय में कटौती व भर्ती माफियाओं के चलते भर्तियाँ रद्द हो जाती हैं या कोर्ट में लटक जाती हैं।
अब युवाओं ने ठाना है वे चुप नहीं बैठेंगे। वे भर्ती व्यवस्था में बदलाव करके दम लेंगे#बोलेगा_यूपी_का_युवा
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) June 15, 2020
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी आज ट्वीटर के ज़रिये यूपी सरकार को घेरा. अखिलेश ने लिखा कि उत्तर प्रदेश में STF की मनमानी जांच का खेल शुरू हो गया है, चाहे वो 69000 भर्ती मामला हो या एक नाम से अनेक नौकरी करने या पशुधन मंत्री के निजी सचिव द्वारा ठेकेदारी घोटाला या रामपुर में मोहम्मद आज़म साहब की जांच हो. अखिलेश यादव ने लिखा है कि भाजपा की अपनों को बचाने व दूसरों को फंसाने की नीति के लिए भी एक STF जांच होनी चाहिए.
उप्र में STF की मनमानी जाँच का खेल शुरू हो गया है, चाहे वो 69000 भर्ती मामला हो या एक नाम से अनेक नौकरी करने या पशुधन मंत्री के निजी सचिव द्वारा ठेकेदारी घोटाला या रामपुर में मो. आज़म साहब की जाँच हो.
भाजपा की अपनों को बचाने व दूसरों को फँसाने की नीति के लिए भी एक STF जाँच हो. pic.twitter.com/vVBZMtZy5E
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) June 15, 2020
प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव और शिव नारायण सिंह के ट्वीट तो सिर्फ बानगी भर हैं लेकिन 69000 शिक्षकों की भर्ती घोटाले को लेकर सरकार शिक्षक अभ्यर्थियों से लेकर कोर्ट के गलियारों तक में फंसी हुई है. विश्व हिन्दू परिषद का नेता एक स्कूल प्रबंधक के तौर पर शिक्षक भर्ती के दौरान जिस तरह पेपर आउट कराते में पकड़ा जाता है और जेल से ज़मानत पर छूटकर फरार हो जाता है लेकिन वही मंत्री को बधाई देने के पोस्टर में प्रधानमन्त्री और मुख्यमंत्री की तस्वीरें भी छपवा देता है लेकिन वह पोस्टर STF को नज़र भी नहीं आता तो ज़ाहिर है कि सरकार पर सवाल उठेंगे ही.
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इसी तरह से एक नाम पर 25 जगहों से 13 महीनों तक लगातार वेतन आहरित होता रहता है और शिक्षा विभाग को जानकारी ही नहीं हो पाती. वह शिक्षिका भी तब पकड़ में आती है जब मामला खुल जाने के बाद वह बीएसए को अपना इस्तीफ़ा देने पहुँच जाती है. प्रियंका और अखिलेश ने जो सवाल उठाये हैं वह योगी सरकार के लिए तब तक मुसीबत का सबब रहेंगे जब तक सरकार इनका हल नहीं खोज लेती.