Wednesday - 30 October 2024 - 12:58 PM

तो यूपी के पॉलीटेक्निक का भी होने वाला है निजीकरण, बीटेक से महंगी हो जाएगी फीस

जुबिली न्यूज़ डेस्क

सरकारी संस्थाओं के निजीकरण को लेकर केंद्र की मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। इसी क्रम में अब यूपी की योगी सरकार को लेकर भी एक बड़ी खबर सामने आ रही है। एक समाचार पत्र में प्रकशित खबर के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के 31 पॉलीटेक्निक को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है। तीन बैठकों के साथ इसकी रूपरेखा बन चुकी है। उम्मीद है कि नए सत्र में छात्रों को प्राइवेट पॉलीटेक्निक में प्रवेश लेना होगा। इसके साथ-साथ यहां प्रशिक्षण व अन्य कार्यों के लिए निजी स्टाफ रखा जाएगा।

बता दें कि प्रदेश में वर्तमान में 147 राजकीय और 19 अनुदानित पॉलीटेक्निक हैं। राजकीय पॉलीटेक्निक में डिप्लोमा की फीस करीब 10 हजार रुपए है। अगर ये पॉलीटेक्निक निजी सेक्टर में चले जाते हैं तो शुल्क में करीब दस गुना की बढ़ोतरी हो सकती है। यानी एक लाख रुपये तक देने पड़ सकते हैं।

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में संचालित यूआईईटी से छात्र अगर बीटेक की डिग्री लेता है तो उसे एक साल में करीब 80 हजार रुपए फीस देनी पड़ती है, जबकि निजी सेक्टर में जाने के बाद पॉलीटेक्निक से डिप्लोमा लेने के लिए छात्र को एक लाख रुपए फीस देनी होगी। ऐसे में बीटेक से ज्यादा महंगा पॉलीटेक्निक में दाखिला लेना हो जाएगा।

सरकार क्यों निजी हाथों में सौंपना चाहती है

पॉलीटेक्निक में लगातार गिर रही शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सरकार गंभीर है। करार के तहत सभी पॉलीटेक्निक की जमीन सरकार के नाम ही रहेगी। उसमें जो संसाधन लगे हैं, वह भी सरकारी रहेंगे। निजी सेक्टर सिर्फ संसाधनों की संख्या बढ़ा सकते हैं।

निदेशालय व मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि प्राइवेट हाथों में जाने के बाद पॉलीटेक्निक में शिक्षा व प्रैक्टिकल के स्तर में सुधार होगा। छात्रों को अत्याधुनिक मशीनों के जरिए नई तकनीक सीखने का मौका मिलेगा। हालांकि संस्थान में पढ़ाया वही जाएगा, जो प्राविधिक शिक्षा मंत्रालय तय करेगा, ऐसा इसलिए क्योंकि सभी पॉलीटेक्निक में एक समान पाठ्यक्रम ही पढ़ाया जाने का नियम है।

इस सम्बन्ध में प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमलरानी वरुण का कहना है कि, प्रदेश सरकार के पास पर्याप्त निधि है जिससे सभी पॉलीटेक्निक संचालित हो रहे हैं, किसी प्राइवेट एजेंसी से पॉलीटेक्निक के संचालन जैसी योजना नहीं है और न ही किसी से कोई मदद ली जा रही है। इस संबंध में ज्यादा जानकारी भी नहीं है। अधिकारियों से वार्ता की जाएगी।

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