जुबिली न्यूज डेस्क
इस समय अभिभावक सबसे ज्यादा परेशान स्कूल की भारी-भरकम फीस को लेकर हैं। स्कूल फीस कम करने के तैयार नहीं है और अभिभावक पूरी फीस देने की स्थिति में नहीं है। यह समस्या किसी एक प्रदेश में नहीं बल्कि पूरे देश में है।
फिलहाल पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस की वसूली के साथ एडमिशन फीस भी लेने को मंजूरी दे दी है।
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अदालत ने कहा है कि तालाबंदी की अवधि के लिए स्कूल अपने एनुअल चार्ज को भी वसूल सकतेे हैं, पर इस खर्च के तौर पर वे तालाबंदी की अवधि के लिए ट्रांसपोर्ट फीस या बिल्डिंग चार्ज के तौर पर सिर्फ वही फीस वसूल सकते हैं जो वास्तविक तौर पर खर्च करने पड़ते हों।
अदालत ने यह भी कहा कि निजी स्कूल 2020- 21 सत्र में फीस बढ़ाने से बचें। वह 2019-20 का फीस स्ट्रक्चर ही लागू रखेें।
कोर्ट ने अभिभावकों को भी एक रास्ता सुझाया है। कोर्ट ने कहा कि स्कूल की फीस देने में अक्षम अभिभावक अपनी वित्तीय स्थिति की जानकारी देकर स्कूलों को फीस में कटौती या फीस माफी के आवेदन दे सकते हैं। फीस पर स्कूलों से रियायत न मिलने पर अभिभावक रेगुलेटरी बॉडी को भी शिकायत दे पाएंगे।
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हाईकोर्ट ने कहा कि अगर स्कूलों में फीस न बढ़ाने से किसी स्कूल को वित्तीय संकट झेलना पड़े तो वह अपने वित्तीय स्थितियों की जानकारी के साथ जिला शिक्षा अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।
मामले में इससे पहले हुई सुनवाई में पंजाब सरकार ने कहा था कि प्राइवेट स्कूलों को सरकार सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के अपने आदेश पर नया विकल्प उपलब्ध करवाएगी। पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने अदालत को बताया कि पंजाब सरकार प्राइवेट स्कूलों में फीस वसूली के मुद्दे पर एक नया प्रस्ताव तैयार कर रही है जो स्कूलों और विद्यार्थियों दोनों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है।
इससे पहले एडवोकेट आरएस बैंस ने अदालत को बताया था कि सिर्फ पंजाब सरकार ने ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा सरकार, चंडीगढ़ प्रशासन ने भी प्राइवेट स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के आदेश दिए हैं।