जुबिली न्यूज डेस्क
तालिबान अक्सर अपने फैसलों की वजह से सुर्खियों में आ जाता है। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद उसकी कार्यशैली पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं।
तालिबान महिलाओं की आजादी से आतंकवाद को लेकर पूरी दुनिया के निशाने पर बना हुआ है। एक बार फिर तालिबान अपने एक फैसले की वजह से चर्चा में है। उसके फैसले ने महिला जजों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है।
दरअसल तालिबान ने वहां की जेलों में बंद हजारों कैदियों को रिहा कर दिया। अब ये खूंखार कैदी उन महिला जजों की तलाश कर रहे हैं, जिन्होंने उन्हें सजा दी थी।
अफगानिस्तान में करीब 200 से अधिक ऐसी महिला जज हैं, जिनको इन कैदियों से धमकी भरे संदेश मिल रहे हैं।
दर-दर भटकने को मजबूर हुईं जज
खूंखार कैदियों से अपनी जान बचाने के लिए कई महिला जजों ने अलग-अलग जगहों पर अपना ठिकाना बना लिया है। कई तो अपना नाम बदलकर छिप गई हैं।
इन महिलाओं को जेल से छोड़े गए कैदियों के फोन आ रहे हैं और ‘देख लेने की धमकी’ मिल रही है। ऐसी कम से कम 220 महिला जज अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़ दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
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तालिबान के सदस्य महिला जजों के घर जाकर उनके घर वालों और उनके आसपास रहने वाले लोगों से पूछताछ कर रहे हैं। डर का आलम यह है कि इन महिलाओं को अपना मोबाइल नबंर बदलते रहना पड़ रहा है।
मालूम हो कि तालिबान अपनी वापसी को लेकर पूरी दुनिया को यकीन दिलाने में लगा हुआ है कि इस बार महिलाओं को पूरी आजादी दी जाएगी। लेकिन तालिबान की कथनी और करनी में अंतर साफ दिखाई दे रहा है।
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वहीं महिला जजों की इस हालत पर तालिबान के प्रवक्ता बिलाल करीमी का कहना है कि “महिला जज बाकियों महिलाओं की तरफ बिना खौफ के रह सकती हैं। अगर उन्हें कोई धमकी मिल रही है तो हमारी तरफ से इसकी जांच होगी।”