जुबिली न्यूज़ डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। ये उनके कार्यक्रम का 75वां संस्करण था। अपने कार्यक्रम की शुरुआत में पीएम ने कहा कि, मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं कि आपने इतनी बारीक नजर से ‘मन की बात’ को फॉलो किया है और आप जुड़े रहे हैं। ये मेरे लिए बहुत ही गर्व का विषय है, आनंद का विषय है।
उन्होंने कहा कि, ऐसा लगता है ये कल की तरह है जब 2014 में हमने मन की बात नाम से इस यात्रा की शुरुआत की। मैं सभी श्रोताओं और उन लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने इस कार्यक्रम के लिए इनपुट दिए है। आप देखिएगा, कि ‘अमृत महोत्सव’ ऐसे कितने ही प्रेरणादायी अमृत बिंदुओं से भर जाएगा, और फिर इस तरह की अमृत धारा बहेगी जो हमें भारत की आज़ादी के सौ वर्ष तक प्रेरणा देगी। साथ ही देश को नई ऊँचाई पर ले जाएगी।
पीएम बोले कि, किसी स्वाधीनता सेनानी की संघर्ष गाथा हो, या किसी स्थान का इतिहास हो, देश की कोई सांस्कृतिक कहानी हो, अमृत महोत्सव के जरिये आप उसे देश के सामने ला सकते हैं और देशवासियों को उससे जोड़ने का माध्यम भी बन सकते हैं।
आज़ादी के लड़ाई में हमारे सेनानियों ने इतने कष्ट इसलिए सहे, क्योंकि वो त्याग और बलिदान को देश के लिए अपना कर्तव्य समझते थे। उनकी ये अमर गाथाएं अब हमें सतत कर्तव्य पथ के लिए प्रेरित करे। जैसे गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है –नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मण: ।
इसी तरह से हमारे कोरोना वॉरियर्स के प्रति सम्मान, आदर, थाली बजाना, ताली बजाना, दिया जलाना हमारा कर्तव्य था। आपको इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि कोरोना वॉरियर्स के दिल को कितना छू गया था वो और वो ही तो कारण है जो पूरे साल वे बिना थके, बिना रुके काम करते रहे।
पीएम ने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले साल मार्च के ही महीने में देश ने पहली बार जनता कर्फ्यू शब्द सुना था। लेकिन इस महान देश की महान प्रजा की महाशक्ति का अनुभव देखिये, जनता कर्फ्यू पूरे विश्व के लिए एक मिसाल बन गया ।
पिछले साल लोगों के मन में सवाल था कि कोरोना की वैक्सीन कब तक आएगी। हम सबके लिए ये बहुत ही गर्व की बात है, कि आज भारत, दुनिया का, सबसे बड़ा वैक्सीन प्रोग्राम चला रहा है।
मोदी ने कहा कि गुजरात के बनासकांठा में वर्ष 2016 में एक आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में मैंने लोगों से कहा था कि यहां इतनी संभावनाएं हैं, क्यों न बनासकांठा और हमारे यहां के किसान मिठास की क्रांति का नया अध्याय लिखें ? आपको ये जानकर खुशी होगी कि, इतने कम समय में, ये शहद उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया है। आज यहां के किसान शहद से लाखों रुपए सालाना कमा रहे हैं।
इसके अलावा पीएम ने अपने कार्यक्रम में वर्ल्ड स्पैरो डे का भी जीकर किया उन्होंने कहा कि अभी कुछ दिन पहले ये दिवस मनाया गया । Sparrow यानी गोरैया। कहीं पर इसे चकली बोलते हैं, कहीं चिमनी बोलते हैं, कहीं घान चिरिका कहा जाता है, बनारस के बत्रा जी ने गौरैया संरक्षण में बेहद सराहनीय काम किया है।
इनका पूरा नाम इंद्रपाल सिंह बत्रा है उन्होंने अपने घर में लकड़ी के ऐसे घोंसले बनवाए, जिनमें आसानी से गोरैया रह सके। आज बनारस के कई घर इस पहल से जुड़ गये हैं। मैं चाहूंगा प्रकृति, पर्यावरण, प्राणी, पक्षी जिनके लिए भी बन सके, कम-ज्यादा प्रयास हमें भी करते रहना चाहिए।
देश के कई अलग-अलग जगहों में नया साल जल्द ही मनाया जाएगा। चाहे उगादी हो या पुथंडू, गुड़ी पड़वा हो या बिहू, नवरेह हो या पोइला, या फिर बोईशाख हो या बैसाखी – पूरा देश, उमंग, उत्साह और नई उम्मीदों के रंग में सराबोर दिखेगा। होली भी तो एक तरह से बसंत को उत्सव के तौर पर ही मनाने की एक परंपरा है।
ये भी पढ़े : अनिल देशमुख को लेकर मुखपत्र सामना में पूछा गया ये सवाल
ये भी पढ़े : “एक दूसरे के करीब होते हैं सियासत और साहित्य”
हम जिस समय रंगों से साथ होली मना रहे होते हैं। उसी समय बसंत भी, हमारे चारों ओर नए रंग बिखेरता हुआ नजर आता है। इसी समय फूलों का खिलना शुरू होता है और प्रकृति जीवंत हो उठती है।
ये भी पढ़े : अंग-भंग से प्रभावित महिलाओं को सीएम शिवराज ने दी सहायता
पीएम ने अपने कार्यक्रम में कहा, भारत के लोग दुनिया के किसी कोने में जाते हैं तो गर्व के साथ कहते हैं कि हम भारतीय हैं। हम अपने योग, आयुर्वेद, और न जाने क्या कुछ नहीं है हमारे पास, जिसके लिए हमे गर्व है। साथ ही अपनी स्थानीय भाषा, बोली, पहचान, पहनाव, खान-पान का भी हमे गर्व हैं।