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जम्मू और कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति के आदेश की वैधानिकता को मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई। अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने इस मामले में एक याचिका दायर की है।
शर्मा ने राष्ट्रपति के आदेश को ‘गैरकानूनी’ बताते हुए दावा किया है कि इसे राज्य विधानसभा से सहमति लिए बगैर ही पारित किया गया है। शर्मा बुधवार को अपनी इस याचिका के बारे में उल्लेख करके इसे शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध कर सकते हैं।
याचिका में अनुच्छेद 370 को हटाने के राष्ट्रपति के आदेश की अधिसूचना को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 हटाने के लिए सरकार द्वारा किया गया संशोधन असंवैधानिक है।
सरकार ने मनमाने और असंवैधानिक ढंग से कार्रवाई की है। याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट इस अधिसूचना को असंवैधानिक घोषित कर इसे रद्द करे।
केन्द्र सरकार ने सोमवार को जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया था और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटने का प्रस्ताव पेश किया था।
वहीं राज्यसभा के बाद अब लोकसभा से भी जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर मंजूरी मिल गई है। मंगलवार को लोकसभा ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल को पास कर दिया। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर लोकसभा में वोटिंग के दौरान पक्ष में जहां 370 वोट पड़े वहीं, विपक्ष में 70 वोट पड़े।
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