जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. कोरोना महामारी से लोगों को बचाने के लिए तैयार की गई वैक्सीन में भी भ्रष्टाचार करने से लोग बाज़ नहीं आ रहे हैं. ताज़ा मामला ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो का है. ब्राजील के राष्ट्रपति पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय कम्पनी भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन की डील में हुए भ्रष्टाचार के दौरान अपनी आँखें मूंदे रखीं. ब्राजील सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रोसा वीबर ने टॉप प्रासीक्यूटर ऑफिस को मामले की जांच सौंप दी है.
कोरोना वैक्सीन की खरीद में भ्रष्टाचार की वजह से ब्राजील के राष्ट्रपति की दिक्कतें बढ़ गई हैं. आरोप साबित होने की दशा में उन्हें अपनी कुर्सी भी गंवानी पड़ सकती है. आरोप साबित होने की दशा में उनके खिलाफ महाभियोग भी लाया जा सकता है.
कोरोना वैक्सीन खरीद में भ्रष्टाचार को सीनेट ने राष्ट्रीय शर्मिन्दगी का मुद्दा माना है. बताया जाता है कि ब्राजील का स्वास्थ्य मंत्रालय कोरोना वैक्सीन को खरीदने में दिलचस्पी दिखाता नज़र नहीं आया और राष्ट्रपति खुद कोविड-19 के इलाज के लिए मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की वकालत ही करते रहे जबकि इस दवा को कोरोना के इलाज में बेअसर पाया गया है.
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ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय की बात मानें तो उन्हें भारतीय कम्पनी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आयात करने के लिए दबाव का सामना करना पड़ा. इसके बिलों के भुगतान में कम्पनी को किये गए भुगतान में साढ़े चार करोड़ डालर की अनियमितताएं पाई गईं. यह मामला राष्ट्रपति के संज्ञान में लाया गया. भ्रष्टाचार के इस संगीन मामले को राष्ट्रपति ने संघीय पुलिस को भेजने का वादा तो किया लेकिन हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे, उन्होंने कुछ भी नहीं किया. संघीय पुलिस ने खुद स्पष्ट किया है कि उनसे न तो राष्ट्रपति ने जांच के लिए कहा और न स्वास्थ्य मंत्रालय ने.