जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. डोनाल्ड ट्रम्प व्हाइट हाउस से विदा होने से पहले चीन के सामने मुश्किलों का पहाड़ खड़ा कर देना चाहते हैं. ट्रम्प ने चीन से आने वाले उत्पादों पर पहले सीमा शुल्क बढ़ाया और अब वह चीन के सबसे बड़े एयरबेस के पास तिनिआन द्वीप पर अपना मिलिट्री बेस बनाने की तैयारी कर रहा है.
तिनिआन द्वीप पर पहले जापान का कब्ज़ा हुआ करता था. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जापान को उसे छोड़ना पड़ा था. चीन की इस द्वीप पर लम्बे अरसे से नज़रें जमी थीं लेकिन अब कोरोना महामारी के बाद चीन और अमेरिका के बीच हुए 36 के रिश्ते के बाद अमेरिका ने चीन को इस द्वीप पर कब्ज़ा कर एक और बड़ा झटका दे दिया है.
तिनिआन द्वीप समुद्र के बीच उभरा ज़मीन का वह टुकड़ा है जो चीन के लिए सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. अमेरिका इस द्वीप पर अपने सैनिक तैनात करेगा. अमरीकी रक्षा विभाग की यहाँ तैयारियां लगभग पूरी कर चुका है. अमेरिका यहाँ 12 टैंकर एयरक्राफ्ट रखेगा. यहाँ पर सालाना आठ हफ्ते सैन्य अभ्यास करेगी. सैन्य अभ्यास क्योंकि युद्ध जैसा ही होता है इसलिए चीन अमेरिका से लगातार इस आशंका से घिरा रहेगा कि कहीं चीन युद्ध की तरफ तो नहीं बढ़ रहा है.
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तिनिआन द्वीप पर कब्ज़ा कर अमेरिका ने चीन का समुद्री रास्ते में खुद को सुपर पॉवर बनने के सपने पर ब्रेक लगा दिया है. चीन के लिए यह अमरीकी कदम इसलिए भी चिंता बढाने वाला है क्योंकि वह देख रहा है कि हिन्द महासागर में भारत लगातार अपनी मजबूती करता जा रहा है. चीन इससे निबट पाता इसके पहले ही अमेरिका ने उसके सामने तिनिआन में चुनौतियाँ खड़ी कर दीं.