अविनाश भदौरिया
केंद्र सरकार का कहना है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकारों को पीआईबी कार्ड जारी करने पर विचार कर रहा है, जो अब तक सिर्फ प्रिंट और टीवी के पत्रकारों को दिए जाते हैं।
सरकर के इस फैसले से डिजिटल मीडिया के पत्रकार बड़े खुश नजर आ रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि अब उनके अच्छे दिन आने वाले हैं लेकिन क्या वास्तव में उनके अच्छे दिन आने वाले हैं या फिर वह किसी खूबसूरत झांसे में फंसने वाले हैं ? यह चर्चा भी मीडिया के गलियारे में जोरो पर है।
इस पूरे मसले को समझने के लिए हमें वैसे तो लम्बा चौड़ा इतिहास और नियम कानून समझना पड़ेगा लेकिन आइए कुछ आसान सी बातों को जान लें तो काफी हद तक स्थिति समझ आ जाएगी।
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सबसे पहले तो यह समझने की कोशिश करते हैं कि सरकार ने क्या कहा है और उसके मायने क्या हैं। शुक्रवार को केंद्र सरकार ने जानकारी दी कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय कुछ लाभों के विस्तार के बारे में विचार कर रहा है। जैसे भविष्य में डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकारों को पीआईबी कार्ड जारी करना, जो अब तक सिर्फ प्रिंट और टीवी के पत्रकारों को दिए जाते हैं।
सरकार की ओर से कहा गया कि पीआईबी मान्यता के बाद पत्रकार, कैमरामैन, वीडियोग्राफर सबसे पहले जानकारी पाने में सक्षम हो सकेंगे। इससे सरकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस और अन्य कार्यक्रमों में शामिल होने की पहुंच भी मिल जाती है। इस मान्यता से वे सरकारी विज्ञापन पाने में भी सक्षम हो सकेंगे।
यानी कि प्रेस एवं पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2019 के मसौदे में डिजिटल मीडिया को आरएनआई के तहत लाने की तैयारी की जा रही है। वर्तमान में डिजिटल मीडिया देश की किसी भी संस्था के अंतर्गत पंजीकृत नहीं है।
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अब डिजिटल मीडिया के लोगों को मान्यता और विज्ञापन मिलेगा तो उनके लिए नियम कानूनों का पालन करने का उत्तरदायित्व भी होगा। या फिर यूँ कहिए कि उन पर निगरानी भी होगी। अब यह निगरानी किस उद्देश्य से और कैसी होगी वो तो निगरानी करने वाले पर निर्भर होगा। इसके लिए आप समाचार पत्रों और टीवी चैनलों की पत्रकरिता को देख सकते हैं।
बता दें कि कुछ ही दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में एक न्यूज़ चैनल के विवादित कार्यक्रम को लेकर सुनवाई चल रही थी। तब कोर्ट के साथ-साथ देशभर में मीडिया रेगुलेशन को लेकर बहस तेज हो गई। इस दौरान कोर्ट में बहस के बीच केंद्र सरकार ने कहा था कि टीवी और प्रिंट से पहले डिजिटल मीडिया पर कंट्रोल की जरूरत है। ऐसे में केंद्र द्वारा डिजिटल मीडिया को लेकर जो सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं उनकी हकीकत क्या है वो आने वाला वक्त बताएगा ?
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