जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. पंजाब कांग्रेस में सिद्धू और कैप्टन की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. कांग्रेस आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोध के बावजूद पार्टी की कमान सौंपी ताकि दोनों के बीच चल रही जंग थम जाए. एक पार्टी संभाले और दूसरा सरकार. छह महीने के बाद चुनाव में जाना है इसलिए पार्टी में महाभारत नहीं चाहिए.
कैप्टन अमरिन्दर सिंह अंत तक सिद्धू को कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नहीं देखना चाहते थे लेकिन अंतत: उन्हें हार माननी पड़ी. सिद्धू अध्यक्ष का दायित्व संभालने गए तो कैप्टन को वहां जाना पड़ा लेकिन हालात बता रहे हैं कि सिद्धू गुट अब चुनाव से पहले ही कैप्टन को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने पर मजबूर करना चाहता है.
मंगलवार को कैप्टन सरकार में कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा के घर हुई बैठक में तीन कैबिनेट मंत्री और 20 विधायक बैठक के लिए जमा हुए. समझा जाता है कि इस बैठक में मुख्यमंत्री बदलने की रणनीति बनाई गई. इस रणनीति का खुलासा इस बात से होता है कि बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री चरणजीत चन्नी ने कहा कि हमें अब इस बात का भरोसा नहीं रह गया है कि मुख्यमंत्री सभी चुनावी वादों को पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में जनता की समस्याएं हल नहीं हो पाएंगी.
जानकारी मिली है कि पंजाब में मुख्यमंत्री को बदलने की मांग को लेकर बहुत जल्द एक शिष्टमंडल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाक़ात करेगा. सोनिया गांधी से मुलाक़ात के लिए तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, सुखविंदर सिंह सरकारिया और परगट सिंह दिल्ली जायेंगे. विधायक परगट सिंह ने कहा कि कांग्रस के विधायक कैप्टन की कार्यप्रणाली से खुश नहीं हैं.
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उल्लेखनीय है कि 26 अगस्त को कैप्टन ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है. इस बैठक में विधानसभा सत्र को लेकर फैसला होगा. इस कैबिनेट बैठक में मंत्रिमंडल में फेरबदल की बात भी तय होनी है. सिद्धू के करीबी मंत्रियों को डर है कि कैप्टन उन्हें ठिकाने लगा देंगे. ऐसे में इस बैठक के ज़रिये उन्होंने कैप्टन पर ही दबाव बना दिया है. सिद्धू हालांकि इस बैठक में नहीं थे लेकिन यह माना जा रहा है कि सिद्धू को इस बैठक में क्या तय होने वाला है इसकी पूरी जानकारी है.