प्रमुख संवाददाता
मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मुसलमानों को स्पष्ट सन्देश दिया है कि हालात के मद्देनज़र वह जुमे की नमाज़ पढ़ने मस्जिद में न जाएं। मस्जिद में सिर्फ अज़ान देने वाला मुअज़्ज़िन और मस्जिद में मौजूद चार-पांच लोग ही नमाज़ पढ़ लें। मस्जिद में कोई भी बाहरी व्यक्ति न जाए। मुसलमान अपने घरों में नमाज़ अदा कर लें।
इस बात में संदेह नहीं है कि जुमे की नमाज़ को मस्जिद में ही अदा करने की परम्परा रही है लेकिन हालात जब लोगों को दूरी बनाकर रखने की सलाह दे रहे हों तब किसी को भी इस नियम को तोड़ना नहीं है। मज़हब इतने लचीले रुख को मानने का हुक्म देता है जिसमें इंसानी ज़िन्दगी को बचाया जा सके।
लखनऊ में आसिफी मस्जिद के इमामे-ए-जुमा मौलाना कल्बे जवाद, ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगीमहली और जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी ने अलग-अलग अपील जारी की है कि मस्जिदों में नमाज़ पढ़ने के बजाय अपने घरों पर नमाज़ अदा करें। इन अपीलों के बाद लोगों के मस्जिदों में जाने में कमी आयी है लेकिन मोहल्लों की छोटी मस्जिदों में अभी भी मस्जिद में ही नमाज़ का क्रम जारी है।
मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मुसलमानों से आज जुमे के दिन एक बार फिर यह अपील की है कि दुनिया भर में फैली महामारी कोरोना के मद्देनज़र डाक्टरों द्वारा दी गई सोशल डिस्टेंस की राय पर कड़ाई से अमल करें और मस्जिदों में जाने से परहेज़ करें। मौजूदा हालात में सबको मिलकर इस महामारी को हराना है और यह महामारी लोगों के घरों में रहने से ही दूर होगी।
मस्जिदों में होने वाली अज़ान सिर्फ नमाज़ का समय हो जाने की सूचना देना भर है। अज़ान सुनने के बाद लोग घरों से निकलने के बजाय अपने घर में ही नमाज़ अदा कर लें। वह मस्जिदों में तब तक न जाएँ जब तक कि कोरोना का कहर खत्म न हो जाए।