Wednesday - 30 October 2024 - 1:15 AM

तो क्‍या पीके की वजह से कमजोर हो रहीं हैं ममता ?

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

बिहार में परचम फहराने के बाद भारतीय जनता पार्टी अब पश्चिम बंगाल में परचम फहराने की तैयारी में जुट गई है। पिछले कुछ दिनों से पश्चिम बंगाल की सियासत का पारा चढ़ा हुआ है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस जहां सत्ता में वापसी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रखी है, वहीं बीजेपी खड़े होने की जगह मिल जाने के बाद बंगाली की धरती पर पांव जमाने के प्रयास में जी जान से जुटी हुई है।

बीजेपी चुनाव की तैयारियों में लंबे समय से लगी हुई है, लेकिन पार्टी को ममता को कड़ी टक्‍कर देने वाले चेहरे की तलाश है। दूसरी ओर ममता ने बीजेपी को बंगाल से दूर रखने के लिए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर भरोसा किया है। हालांकि ममता ये कदम उनके ही खिलाफ जाता हुआ दिखाई दे रहा है।

दरअसल, बंगाल में अप्रैल-मई में विधानसभा की 294 सीटों के लिए चुनाव होने हैं, लेकिन तृणमूल के भीतर बगावती स्वर तेज होता जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में जिस तरह से एक बाद एक विधायक व मंत्री अपनी नाराजगी जता रहे हैं यह शुभ संकेत नहीं है।

Prashant Kishor And Team Facing Pushback From Trinamool Rank And File For 'Interference'

तृणमूल के वरिष्ठ नेता और मंत्री धीरे-धीरे बगावत पर उतर रहे हैं, लेकिन ममता के लिए सबसे तगड़ा झटका उनके भरोसेमंद और आंदोलन के दिनों के सहयोगी शुभेंदु अधिकारी का इस्तीफा है। सिर्फ अधिकारी ही नहीं उनके अलावे कई और ऐसे नेता व विधायक हैं जो चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) के पार्टी के भीतर हस्तक्षेप को लेकर मुखर हो रहे हैं।

तृणमूल के कई नेता पीके के खिलाफ खुलेआम बोल रहे हैं। बता दें कि दिल्ली विधानसभा और आंध्र प्रदेश समेत कई चुनाव में जीत के पीछे अहम भूमिका निभाने वाले पीके को ममता व अभिषेक ने पिछले साल ही बंगाल चुनाव में तृणमूल का कामकाज देखने के लिए हायर किया है।

प्रशांत किशोर की एजेंसी आई-पैक पिछले वर्ष जुलाई से तृणमूल के लिए काम कर रही है लेकिन अब जो खबरें आ रही हैं उससे पीके ममता की उम्मीदों को ठेस पहुंचने की आशंका है। क्योंकि, पीके की रणनीति के तहत इस वर्ष जुलाई में ममता ने संगठन में भारी फेरबदल किया था। इसके बाद से ही नाराजगी बढ़ती जा रही है।

Inside Track: Why Mamata Banerjee is wary of Prashant Kishor's alleged BJP links - The Financial Express

पिछले दिनों मुर्शिदाबाद से तृणमूल विधायक नियामत शेख ने एक जनसभा में प्रशांत किशोर का खुलेआम विरोध करते हुए कहा था, क्या हमें उनसे (पीके) राजनीति समझने की जरूरत है? कौन है वह? अगर बंगाल में तृणमूल को नुकसान पहुंचा तो पीके उसकी वजह होंगे।

यही नहीं कूचबिहार से तृणमूल विधायक मिहिर गोस्वामी ने भी प्रशांत किशोर पर आपत्ति जताते हुए फेसबुक पर कई पोस्ट किए।

उन्होंने पीके पर निशाना साधते हुए लिखा, क्या तृणमूल अभी भी वाकई ममता बनर्जी की पार्टी है? ऐसा लगता है कि पार्टी को किसी ठेकेदार को दे दिया गया है। शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया तथा नई दिल्ली जाकर भाजपा का दामन थाम लिया।

Mamata signs on Political Strategist Prashant Kishor for 2021 West Bengal polls - India Ahead News

बैरकपुर विधानसभा से तृणमूल विधायक शीलभद्र दत्त ने पीके की एजेंसी पर हमला बोलते हुए चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी है। दत्ता ने कहा है कि एक बाहरी एजेंसी उन्हें सिखा रही है कि राजनीति कैसे करें। यही नहीं मंत्री रबींद्रनाथ भट्टाचार्य ने हुगली के सिंगुर के विधायक बेचाराम मन्ना से नाराज होकर इस्तीफा देने की बात कह दी थी। वहीं मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी भी तृणमूल नेता अनुव्रत मंडल से नाराज हैं।

टीएमसी विधायक नियामत शेख तो सीधे सीथे पब्लिक मीटिंग में प्रशांत किशोर का नाम लेकर हमला बोल रहे हैं, ‘क्या हमें प्रशांत किशोर से राजनीति सीखने की जरूरत है? अगर पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को झटका लगता है तो इसके लिए सिर्फ प्रशांत किशोर ही जिम्मेदार होंगे…’

टीएमसी के लेटेस्ट बागी नेता शुभेंदु अधिकारी के मामले में भी नियामत शेख प्रशांत किशोर यानी PK को दोषी बता रहे हैं, ‘सभी परेशानियों की वजह प्रशांत किशोर हैं… शुभेंदु अधिकारी ने मुर्शिदाबाद में पार्टी को मजबूत किया – और अब उनसे बात करने वाले नेताओं पर ऐक्शन लिया जा रहा है।’

शुभेंदु अधिकारी की बगावत ममता बनर्जी के लिए फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है – ऊपर से बीजेपी की तरफ से पार्टी में खुले दिल से स्वागत का पासा भी भारी पड़ रहा है। शुभेंदु अधिकारी कुछ समय से सत्ता और संगठन दोनों से दूरी बनाकर चल रहे हैं। खुलेआम बयानबाजी और बैठकों का बहिष्कार कर शुभेंदु अधिकारी ने अपने इरादे जाहिर कर दिये हैं और यही वजह है कि प्रशांत किशोर और ममता बनर्जी मिल कर उनको मनाने में जुटे हुए हैं।

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दरअसल, प्रशांत किशोर की सलाह पर ममता बनर्जी ने इसी साल जुलाई में टीएमसी में फेरबदल शुरू किया था। बड़े पैमाने पर ऐसे फेरबदल राज्य समिति के साथ साथ जिला और ब्लॉक समितियों में भी किये गये और नेताओं की नाराजगी बढ़ने के साथ साथ ममता बनर्जी के सामने ये नयी चुनौती के तौर पर खड़ी होती जा रही है।

 

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