जुबिली न्यूज डेस्क
भारत की चुनावी राजनीति में प्रभावी कैंपेन मैनेजर के रूप में उभरे प्रशांत किशोर ने एक बार फिर से कांग्रेस को निशाने पर लिया है।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इस बार विपक्ष के नेतृत्व की कमान कांग्रेस के पास हो, इसे लेकर सवाल उठाया है।
उन्होंने कहा कि जो पार्टी पिछले 10 सालों में 90 प्रतिशत चुनावों में हारी है, उसका विपक्ष के नेतृत्व पर कोई दैवीय अधिकार नहीं हो सकता।
गुरुवार को पीके ने एक ट्वीट में लिखा, ”कांग्रेस जिस विचार और स्थान (स्पेस) का प्रतिनिधित्व करती है, वो एक मजबूत विपक्ष के लिए काफी अहम है, लेकिन इस मामले में कांग्रेस नेतृत्व को व्यक्तिगत तौर पर किसी का दैवीय अधिकार नहीं है, वो भी तब जब पार्टी पिछले 10सालों में 90 फीसदी चुनावों में हारी है। विपक्ष के नेतृत्व का फ़ैसला लोकतांत्रिक तरीके से होने दें..”
The IDEA and SPACE that #Congress represents is vital for a strong opposition. But Congress’ leadership is not the DIVINE RIGHT of an individual especially, when the party has lost more than 90% elections in last 10 years.
Let opposition leadership be decided Democratically.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) December 2, 2021
पीके का यह ट्वीट ममता बनर्जी के राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विस्तार और अगले लोकसभा में महागठबंधन के नेतृत्व को जोड़कर देखा जा रहा है।
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दरअसल इस साल पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर, ममता बनर्जी का चुनावी अभियान संभाल रहे थे। विस चुनाव में ममता को शानदार जीत मिली। इस जीत के बाद ममता राष्ट्रीय स्तर के चुनाव में अपनी पार्टी के विस्तार में लगी हैं।
मेघालय में 10 कांग्रेस विधायकों के टीएमसी का दामन थामने ही टीएमसी वहरं की मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई है। इसके अलावा भी कई कांग्रेस नेता भी टीएमसी में शामिल हुए हैं।
कहा जा रहा है कि इसके पीछे प्रशांत किशोर ही हैं। अब इन अटकलों को और हवा मिलेगी क्योंकि पीके ने कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल खड़ा किया है। कई लोग ये भी कह रहे हैं कि प्रशांत किशोर कांग्रेस को अप्रासंगिक बनाने में लगे हैं।
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बुधवार को टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने महाराष्ट्र के मुंबई में जाकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद दोनों मीडिया के सामने आए थे।
पत्रकारों के सवालों के जवाब में ममता ने कहा था कि अब कोई यूपीए नहीं है। यूपीए कांग्रेस की अगुआई वाला गठबंधन था, जिसमें कई दल शामिल थे।
ममता की इस टिप्पणी पर कांग्रेस ने कहा था कि बीजेपी को बिना कांग्रेस के हराना किसी सपने की तरह है।