लखनऊ। लोकसभा चुनाव में बेहद कम दिन रह गए है। ऐसे में कांग्रेस मोदी सरकार को राफेल मुद्दे पर लगातार घेर रही है तो दूसरी ओर राहुल गांधी के लिए अच्छी खबर है कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने भी खुलकर उनका साथ दिया है। उन्होंने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है।
तोते की तरह हो गए हैं EC और CAG
प्रशांत भूषण ने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि एयरफोर्स से बिना पूछे पीएम मोदी ने फ्रांस में जाकर समझौता कर लिया और इसके बाद तय कीमत से ज्यादा पैसा दे दिया गया। इसके आलावा प्रशांत भूषण ने कहा मौजूदा समय में जो हालात है वो इमरजेंसी की तरह है। उन्होंने सीएजी और चुनाव आयोग को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि दोनों पिंजरे के तोते की तरह हो गए है।
राफेल मुद्दे पर खुलकर की बात
उन्होंने रफेल पर खुलकर बात करते हुए मोदी सरकार पर कई बड़े आरोप लगाये हैं। उन्होंने बताया कि कैसे मोदी सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर आफसेट अधिकार रिलायंस को दिए । उन्होंने कहा कि भ्रष्टााचार को इस डील में खूब बढ़ावा मिला। प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि सरकार इस मामले में झूठ पे झूठ बोल रही है। उन्होंने इशारों में कहा वे सरकार के इस खेल को बेनकाब करेगे। उन्होंने यह भी बाताया कि रिलायंस के पास आफसेट करार को क्रियान्वित करने की दक्षता नहीं है।
मोदी सरकार के उस बयान पर सवाल उठाया जिसमे कहा गया था कि रफेल अगर होता तो पाकिस्तान को और तगड़ा जवाब दिया जाता। इस पर प्रशात भूषण ने कहा कि मोदी सरकार ने ही राफेल को लाने में देरी कर रही है। उन्होंने कहा कुछ मीडिया गलत खबर चलाने में विश्वास रखता है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने लखनऊ में कहा कि आज जिस तरह का राजनैतिक-सामाजिक माहौल बनाया जा रहा है, उसके चलते न सिर्फ हमारा गणतंत्र और संविधान, बल्कि समाज और भी सभ्यता भी बड़े खतरे में है। इन्हें बचाने के लिए लोकतंत्र और भारतीयता में विश्वास रखने वाले सभी लोगों को एक मंच पर आना होगा।
प्रशांत भूषण शुक्रवार को लखनऊ में स्वराज अभियान द्वारा आयोजित एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेस के दौरान उन्होंने गणतंत्र की पुनर्बहाली शीर्षक से एक दस्तावेज जारी किया। उन्होंने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर आगामी चुनाव में देश के नागरिकों के एजेन्डा के तौर पर यह दस्तावेज तैयार किया है। उन्होंने बताया कि इस दस्तावेज को सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा किया जाएगा, तथा उनसे अपेक्षा की जाएगी कि आने वाले चुनाव में वे इस दस्तावेज में दिए गए सुझावों को अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्रमुखता से शामिल करें।
उन्होंने बताया कि उनके संयोजन तथा जस्टिस ए पी शाह की अध्यक्षता में बनी एक टीम ने इस दस्तावेज को तैयार किया है। इनमें अरुणा रॉय, बेजवाजा विल्सन, अंजलि भारद्वाज, योगेंद्र यादव, दीपक नय्यर, ई ए एस शर्मा, गोपाल गुरु, गोपाल गांधी, हर्ष मंदर, जयति घोष, कविता कुरुगुंटी, कृष्ण कुमार, निखिल डे, पॉल दिवाकर, प्रभात पटनायक, पी साईनाथ, रवि चोपड़ा, एस पी शुक्ला, श्रीनाथ रेड्डी, सुजाता राव, शक्ति सेल्वराज, सैयदा हमीद, विपुल मुद्गल, वजाहत हबीबुल्लाह आदि जाने- माने सामाजिक कार्यकर्ता तथा विशेषज्ञ शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि इस दस्तावेज के कुल 11 खंडों में सरकारों की जवाबदेही तथा जनता की अधिक हिस्सेदारी, न्यायिक तथा चुनाव सुधार, लोकतंत्र विरोधी काले कानूनों की समाप्ति, मीडिया सुधार, रोजगार, खाद्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, वंचित वर्गों की अधिकतम सहभागिता तथा सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण से जुड़े जरूरी मुद्दे शामिल किए गए हैं।