जुबिली न्यूज डेस्क
नेपाल मे राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी दो खेमों में बंट गई है। प्रधानमंत्री ओली और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड पार्टी की कमान अपने पास होने का दावा कर रहे हैं।
मंगलवार को नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से जारी टकराव में भारत, चीन और अमेरिका से मदद मांगी है।
पूर्व पीएम प्रचंड ने कहा कि पीएम ओली ने संसद भंग कर लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ काम किया है।
मालूम हो नेपाल बीते 20 दिसंबर से राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। प्रधानमंत्री ओली ने 20 दिसंबर को संसद को भंग कर दिया था। उन्होंने अप्रैल और मई महीने में चुनाव की भी घोषणा कर दी है।
दरअसल ऐसा इन दोनों नेताओं ओली बनाम प्रचंड के टकराव के कारण हुआ है।
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प्रचंड खेमा 275 सासंदों वाली नेपाल की प्रतिनिधिसभा में पीएम ओली के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना चाह रहा था तभी आनन-फानन में ओली ने संसद भंग करने का फैसला कर दिया था।
विदेशी पत्रकारों से काठमांडू में बात करते हुए प्रचंड ने कहा, प्रतिनिधिसभा को फिलहाल बहाल करने की जरूरत है। यह नेपाल के लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि शीर्ष अदालत ओली के इस अलोकतांत्रिक कदम को सही नहीं ठहाराएगा। अगर संसद को बहाल नहीं किया गया तो नेपाल फिर से राजनीतिक अस्थिरता में समा जाएगा।
प्रचंड ने कहा कि मैंने इस संदर्भ में भारत, चीन और अमेरिका से मदद करने की अपील की है। पीएम ओली के इस कदम से नेपाल का लोकतंत्र बुरी तरह से प्रभावित होगा।
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