जुबिली न्यूज डेस्क
पिछले कुछ दिनों से असम सरकार दो बच्चों की पॉलिसी को लेकर सुर्खियों में है। खबर है कि राज्य सरकार इसे लेकर अब कानून बनाने की तैयारी में है।
अगले महीने बजट सत्र में राज्य सरकार की ओर इस संबंध में विधानसभा में विधेयक पेश किया जा सकता है। इस विधेयक में ऐसे लोगों को ही सरकारी नौकरियों और योजनाओं के लिए पात्र माना जाएगा, जिनके दो या उससे कम बच्चे हों।
इस मामले में असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि केवल दो बच्चों की नीति ही असम में मुस्लिमों की गरीबी दूर कर सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अल्पसंख्यकों की आबादी की वृद्धि धीमी करने के लिए विशेष नीतिगत कदम उठाएगी, जिसका लक्ष्य गरीबी और निरक्षरता का उन्मूलन करना है।
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यह बातें मुख्यमंत्री सरमा ने एक साक्षात्कार में कही है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार का प्राथमिक लक्ष्य स्वास्थ्य एवं शैक्षणिक गतिविधियों का प्रसार करना तथा इस तरह के कदमों के जरिए मुस्लिम आबादी की वृद्धि पर रोक लगाना है।
उन्होंने कहा कि इस तरह का रुख समुदाय के अंदर से ही आना होगा, क्योंकि जब सरकार ”बाहर से ऐसा करेगी तो इसका राजनीतिक आधार पर मतलब निकाला जाएगा।”
हेमंत विस्व सरमा ने जोर देते हुए कहा, ”यह एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हमारी माताओं और बहनों की भलाई के लिए तथा इन सबसे ऊपर, समुदाय के कल्याण के लिए है।”
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि असम अपनी वार्षिक जनसंख्या वृद्धि 1.6 प्रतिशत रखने में कामयाब रहा है लेकिन ”जब हम सांख्यिकी की तह में जाते हैं तो यह पाते हैं कि मुस्लिम आबादी 29 प्रतिशत की दर (दशकीय) से बढ़ रही है, जबकि हिंदू आबादी 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही।”
उन्होंने कहा कि वह मुस्लिम समुदाय के नेताओं के साथ निरंतर संपर्क में हैं और वह समुदाय के अंदर एक तरह का नेतृत्व सृजित करने के लिए अगले महीने कई संगठनों के साथ परामर्श करेंगे।
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सीएम सरमा ने कहा, ”हमारे नीतिगत मानकों में विश्वविद्यालय स्तर तक लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा जैसे कुछ प्रोत्साहन, अल्पसंख्यक महिलाओं का वित्तीय समावेशन, पंचायतों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण तथा अल्पसंख्यक इलाकों में कॉलेजों और विश्वविद्यालय खोला जाना शामिल होगा।”
मालूम हो मुख्यमंत्री सरमा ने हाल ही में कहा था कि उनकी सरकार दो बच्चों के नियम के साथ एक जनसंख्या नीति लाने की योजना भी बना रही है। इसका पालन करने वाले परिवारों को खास योजनाओं के तहत लाभ मिलेगा। इस तरह का एक नियम पंचायत चुनाव लडऩे के लिए और राज्य सरकार की नौकरियों के लिए मौजूद है।
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यह पूछे जाने पर कि राज्य में अतिक्रमणकारियों को हटाए जाने अभियान के दौरान क्या एक खास समुदाय को निशाना बनाया गया है, मुख्यमंत्री ने कहा, ”ऐसा बाहर से प्रतीत होता है, लेकिन भला कौन वन का अतिक्रमण करने की अनुमति देगा? यह महज संयोग है कि हटाये गये कुछ लोग एक धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय से हैं।”