प्रो. अशोक कुमार
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जेनेरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GAI) से आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) की ओर बढ़ने के साथ, निर्वाचन पर इसके संभावित प्रभाव को संबोधित करना महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है। निर्वाचन पर इसका प्रभाव, जिसका उदाहरण भारत के आगामी चुनावों से मिलता है, जो इसके संभावित प्रभाव को संबोधित करने की अनिवार्यता को रेखांकित करता है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चुनावों पर प्रभाव डाल सकता है, निर्णय लेने में मदद कर सकता है, और राजनीतिक प्रक्रिया को परिचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
अभियान रणनीति और लक्ष्यीकरण:
राजनीतिक दल और उम्मीदवार अपने अभियान संदेशों को अनुकूलित करने तथा विशिष्ट मतदाता समूहों को अधिक प्रभावी ढंग से लक्षित करने के लिये जनसांख्यिकी, सोशल मीडिया गतिविधि एवं पूर्व मतदान व्यवहार सहित मतदाताओं के बारे में अधिक डेटा का विश्लेषण करने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता एल्गोरिदम का उपयोग कर सकते हैं।
पूर्वानुमानित विश्लेषण:
कृत्रिम बुद्धिमत्ता-संचालित पूर्वानुमानित विश्लेषण मतदान डेटा, आर्थिक संकेतक और सोशल मीडिया से लोगों के रुख का विश्लेषण जैसे विभिन्न कारकों का विश्लेषण करके निर्वाचन परिणामों की पूर्वानुमान लगा सकता है। इससे दलों को रणनीतिक रूप से संसाधन आवंटित करने और प्रमुख चुनाव क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिल सकती है।
मतदाता सहभागिता:
AI चैटबॉट व वर्चुअल असिस्टेंट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मतदाताओं के साथ जुड़ सकते हैं, सवालों के जवाब दे सकते हैं, उम्मीदवारों तथा नीतियों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं तथा यहाँ तक कि मतदाता मतदान को प्रोत्साहित भी कर सकते हैं।इससे मतदाताओं की भागीदारी और चुनावी प्रक्रिया में भागीदारी बढ़ सकती है।
सुरक्षा और अखंडता:
मतदाता दमन, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम के साथ छेड़छाड़ और दुष्प्रचार के प्रसार सहित चुनावी धोखाधड़ी का पता लगाने तथा रोकने के लिये AI-संचालित उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है। डेटा में पैटर्न और विसंगतियों का विश्लेषण करके AI एल्गोरिदम चुनावी प्रक्रिया की अखंडता सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं।
डेटा विश्लेषण:
AI डेटा को विश्लेषण करके मतदाताओं के विचारों और अभिप्रायों का समर्थन करने में मदद कर सकता है। यह पारंपरिक रूप से संभावित चुनावी परिणामों को पूर्वानुमानित करने में मदद कर सकता है।
समाज और मीडिया की निगरानी:
AI सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन स्रोतों को मॉनिटर करके व्यक्तियों के विचारों, अभिप्रायों, और रुझानों का अध्ययन कर सकता है। इससे राजनीतिक मुद्दों और ट्रेंडों का पता लगाना और उसका विश्लेषण करना संभव होता है।
चुनावी योजना और संगठन:
AI राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनावी योजनाओं को अनुकूलित करने में मदद कर सकता है। यह डेटा विश्लेषण, चुनावी प्रचार, और मतगणना में सहायक हो सकता है।
मतदान की सुविधा:
AI मतदान प्रक्रिया को सुधारने और इसे अधिक उपयोगी और अधिक सुरक्षित बनाने में मदद कर सकता है। इसमें वोटर आईडेंटिटी की प्रमाणित करने, वोटिंग के लिए आवश्यक दस्तावेज़ों को जांचने, और वोटिंग प्रक्रिया को सुरक्षित रखने जैसे काम शामिल हो सकते हैं।लेकिन, AI का इस प्रकार का प्रयोग भी निरंतर विवाद का विषय रहता है। कुछ लोग इसे निजी और सामाजिक न्याय के मामलों में हस्तक्षेप करने का संदेश देते हैं। इसलिए, अधिकांश राष्ट्रों में AI के उपयोग के लिए सख्त नियम और नियंत्रण होते हैंAI का उपयोग मतदान प्रक्रिया को सुधारने और सुरक्षित बनाने में कई तरीकों से किया जा सकता है।
यहाँ कुछ महत्वपूर्ण कदम हैं:
वोटर आईडेंटिटी की प्रमाणित करना:
AI सुरक्षित बायोमेट्रिक्स तकनीकों का उपयोग करके वोटरों की पहचान को सुनिश्चित कर सकता है, जैसे कि आईरिस स्कैनिंग या फेस रिकग्निशन। यह गलत या अनुचित वोटिंग को रोक सकता है।
सिस्टम में डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करना:
AI सिस्टमों को हैकिंग और अनधिकृत पहुंच से बचाने में मदद कर सकता है। इसमें डेटा एन्क्रिप्शन, साइबर सिक्योरिटी सॉफ़्टवेयर, और एंटी-फिशिंग तकनीकों का उपयोग शामिल हो सकता है।
डेटा एनालिटिक्स का उपयोग:
AI विश्लेषण क्षमताओं का उपयोग करके वोटरों के अभिप्रायों का विश्लेषण कर सकता है, जिससे राजनीतिक दल और चुनावी अधिकारी वोटरों के मुद्दों और आवश्यकताओं को समझ सकते हैं।
वोटिंग प्रक्रिया में ऑटोमेशन:
AI वोटिंग प्रक्रिया को ऑटोमेट करके मतदान की सुविधा बढ़ा सकता है। इसमें स्वचालित वोटिंग मशीनों और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के तंत्रों का उपयोग शामिल हो सकता है।
वोटिंग प्रक्रिया में नेतृत्व:
AI राजनीतिक प्रशासन और वोटिंग प्रक्रिया में नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है, जिससे सुनिश्चित हो सकता है कि प्रक्रिया संवेदनशील और निष्पक्ष हो। ये सभी कदम मिलकर मतदान प्रक्रिया को सुरक्षित, सुविधाजनक, और निष्पक्ष बनाने में मदद कर सकते हैं। लेकिन, इस प्रकार की प्रौद्योगिकी का उपयोग करने से पहले नियमों, नियंत्रणों, और गोपनीयता के मामले पर विचार किया जाना चाहिए।
(पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय)