- लॉकडाउन के चलते अपराध और प्रदूषण में काफी कमी
- कोरोना ने बदल दी लोगों की सोच, लौट रहे पारिवारिक मूल्यों की ओर
- वायरस के खिलाफ विलपावर और केमिकल हथियार हैं कारगर
राजीव ओझा
तीसरा विश्वयुद्ध छिड़ गया है। यह पहले और दूसरे विश्वयुद्ध से बिलकुल भिन्न है। तीसरे विश्वयुद्ध में एक तरफ पूरी दुनिया है और दूसरी तरफ कोरोना वायरस है। पूरी दुनिया इस तरह का विश्वयुद्ध पहली बार देख रही है। इसमें मानवजाति परम्परागत हथियारों और परमाणु हथियारों से लड़ने के बजाय इच्छाशक्ति और रासायनिक हथियारों से कोरोना का मुकाबला कर रही है। पूरी दुनिया वायरस की आक्रामक और संक्रामक चेन तोड़ने के लिए एकजुट है। दूसरी तरफ कोरोना लगातार अपने संक्रमण का दायरा बढ़ा कर नरसंहार कर रहा है। ताजा सूचनाओं के अनुसार अब तक पूरी दुनिया में करीब 23 हजार लोग नव कोरोना वायरस से मारे जा चुके हैं। ख़ास बात यह कि इसमें ज्यादातर विकसित देशों के लोग हैं। दुनियाभर में करीब 150 करोड़ लोग अपने घरों में बंद हैं और इसमें भारत की 130 करोड़ की आबादी शामिल है। कुल मिलाकर स्थिति भयावह है लेकिन इसके कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं।
सबसे अच्छी बात है कि मानवजाति के पास कोरोना के खिलाफ जो सबसे कारगर हथियार है वह है उसके संक्रमण की चेन को तोडना। इस हथियार का सबसे जरूरी हिस्सा है दृढ इच्छाशक्ति। जो हर व्यक्ति के पास मौजूद है और इसमें कोई पैसा नहीं खर्च होता। जरूरत है बस उसके सही इस्तेमाल की।
मार्च में डब्लूएचओ ने नव कोरोना वायरस को विश्व स्वास्थ्य आपदा घोषित किया तब से पर्यावरण, लोगों के रहन-सहन और दिनचर्या और मनःस्थिति में अनेक बदलाव आए हैं। लोग अब पुराने पारिवारिक मूल्यों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं, खासकर परिवार के बुजुर्गों का विशेष ध्यान रख रहे हैं। परिवार के साथ अधिक समय बिता रहे हैं।
मनुष्य जंगल, नदियों, समुद्र और आकाश पर पृथ्वी के अन्य प्राणियों का हिस्सा भी हड़पता जा रहा था, लेकिन अब सहअस्तित्व के बारे में सोचने को मजबूर है। पिछले एक महीने या एक सप्ताह में स्कूल-कॉलेज, और मनोरंजन के स्थल बंद हैं, बाजार बंद हैं, पर्यटन केन्द्रों पर सन्नाटा है और समुद्र तट वीरान हैं, भीड-भाड वाले घाट सूने पड़े हैं। नदियों का पानी पहले से साफ़ है।
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अब ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि इटली में कोरोना के नरसंहार के बाद समुद्र तट सूने पड़े हैं जहाजों का आना-जाना बंद है। इसके चलते तटों से दूर हो चली डॉल्फिंस तटों पर लौट आई हैं। इटली की नहरों में बगुले फिर दिखने लगे हैं। सिंगापुर में अब पर्यटन स्थलों पर भीड़ न होने से वहां पर ऊदबिलाव लौट आए हैं। इसी तरह इस्रायल के तेलअवीव एअरपोर्ट पर सन्नाटा होने से बत्तखें आराम से अपने परिवार के साथ हवाई पट्टी पार करती दिखीं।
कोरोना के खतरे से लोगों में, ख़ासकर भारत में रहने वालों में सफाई और हाईजीन को लेकर जागरूकता बढ़ी है। जनता कर्फ्यू के बाद से पूरे भारत में एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इन्डेक्स में काफी सुधार आया है। सड़कों पर वाहनों के नहीं उतरने से वातावरण में नाइट्रोजन आक्साइड की मात्रा बेहद कम रही है। पूरे यूपी में यह खतरनाक से मॉडरेट पर आ गया है जबकि भारत के 19 राज्यों में यह खतरनाक से नीचे यानी सौ से नीचे है। इसमें दिल्ली-एनसीआर भी शामिल है। दिल्ली में ज्यादातर जगहों पर इसे संतोषजनक यानी 100 से नीचे या अच्छी श्रेणी में रिकार्ड किया गया है। लखनऊ में एक्यूआई 80 के आसपास बना हुआ है जबकि शुक्रवार को नोएडा का एक्यूआई बहुत दिनों बाद 45 दर्ज किया गया।
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इसी तरह हर तरह के अपराध में जबरदस्त गिरावट आई है। अपराध में आगे रहने वाले उत्तर प्रदेश में बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों में 95 फीसदी तक कमी आई जबकि नकबजनी, चोरी और लूट की वारदातों में 85 फीसदी की कमी आई है।
पहली बार पूरा देश धर्म, जाति और पार्टी लाइन से ऊपर उठा कर एक साथ खड़ा है। सीएए को लेकर शाहीनबाग और अन्य शहरों में चल रहे सभी आन्दोलन स्थगित कर दिए गए हैं। अंत में एक बात और अच्छी हुई है। जिस तरह मीडिया और पुलिस लगातार जी-जान से कोरोना के खिलाफ जंग में जुटी हुई है, लोगों के मन में पुलिस और मीडिया के प्रति सम्मान बढ़ा है।
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