जुबिली पोस्ट ब्यूरो
दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में रोज औसतन 18 से अधिक लोग झपट्टामारी का शिकार होते हैं। यह वह आंकड़ा है जो दिल्ली पुलिस अधिकारिक तौर पर बताती है जबकि दर्जनों मामले पुलिस तक पहुंचते भी नहीं है।
हालांकि दिल्ली पुलिस स्ट्रीट क्राइम पर अंकुश लगाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। बीट पुलिसिंग को मजबूत करने के साथ साथ इलाके में गश्त करने के लिए रफ्तार बाइक भी मुहैया करवाई गई है।
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इसके बावजूद दिल्ली पुलिस में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस बार झपट्टामारी के मामलों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। बदमाशों ने पिछले साल की तुलना में इस छमाही में ज्यादा वारदात को अंजाम दिया है।
पिछले साल छह माह में 3236 झपट्टामारी की वारदातें हुई थीं। वहीं इस साल बदमाशों ने झपट्टामारी के 3322 वारदात को अंजाम दिया है।राजधानी के इलाकों में झपट्टामारी की वारदातें हो रही हैं लेकिन पश्चिम दिल्ली व यमुनापार के लोग बदमाशों के ज्यादातर शिकार हो रहे हैं।
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बदमाश घर के बाहर खड़े व्यक्ति से लेकर भीड़भाड़ वाले बाजारों में खुलेआम घटना को अंजाम दे रहे हैं। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें झपटमारी करने वाले बदमाशों के पास हथियार होते हैं और विरोध करने पर बदमाश पीड़ित को गोली मारने से भी गुरेज नहीं करते हैं।
पुलिस की ओर से किए गए ये प्रयास बेअसर
- बीट स्तर पर केंद्रित करना
- बीट को फिर से व्यवस्थित किया गया
- एएसआई को बीट इंचार्ज के रूप में किया गया
- बीट रिकार्ड और बीट बॉक्स को दुरुस्त किया गया
- अपराधियों पर निगरानी रखना
- जेल से निकलने वाले बदमाशों की जानकारी रखना
- नए बदमाशों के हिस्ट्रीशीट तैयार किए गए
- ट्रैफिक पुलिस व पीसीआर के साथ एकीकृत गश्त
- हॉट स्पॉट व डार्क स्पॉट की पहचान की गई
- नाइट पेट्रोलिंग को पुनर्गठित किया गया
- साइकिल पेट्रोलिंग की शुरूआत की गई
- समय- समय पर जांच के माध्यम से अपराधियों पर दवाब