जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश का हाथरस इन दिनों सियासत का केंद्र बना हुआ है। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल एक-एक करके हाथरस पहुंच रहे हैं और मृतका के परिवार से मिल कर सियासी बयानबाजी कर रहा है। रेप पीड़िता की मौत के बाद जिस तरह ये इस मामले ने सियासी रंग लिया है, उसके बाद योगी सरकार बैकफूट पर नजर आ रही है।
विपक्ष के सवालों जवाब देते हुए बीजेपी ने हाथरस जा रहे नेताओं पर तीखा हमला बोला है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने विपक्ष के हाथरस दौरे को राजनीतिक पर्यटन करार देते हुए कहा कि राजस्थान में बारां में रेप हुआ, छत्तीसगढ़ में रेप हुआ, पर वहां के मंत्री कह रहे हैं कि यह छोटा रेप है। हमारा सवाल यह है कि इन जगह नेता कब जायेंगे।
हालांकि भले ही बीजेपी नेता विपक्ष के हाथरस दौरे को राजनीतिक पर्यटन बता रहे हों, लेकिन जब बीजेपी सत्ता से बाहर रहती है तो उनके नेता भी इस तरह के राजनीतिक पर्यटन का खुब लाभ उठाते हैं। हाथरस के ही तरह राजस्थान के बारां में भी राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। विपक्ष में बैठी बीजेपी गहलोत सरकार पर हमलावर है।
इतना ही नहीं जिस तरह विपक्षी दल हाथरस जा रहे हैं उसी तरह बीजेपी का भी एक दल बारां जिल में रेप पीड़िताओं से मिलने गया और राजनीति चमकाने की कोशिश की।
ऐसा नहीं है कि राजनीतिक पर्यटन देश की सियासत में नया है। यूपी के मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान अखिलेश सरकार पर घेरने के लिए बीजेपी नेताओं का एक दल दंगा प्रभावित क्षेत्र में पहुंचा था। इस दौरान कई बीजेपी नेताओं पर भडकाऊ बयानबाजी करने का आरोप भी लगे थे।
वहीं, सपा सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश के बदायूं में दो दलित बहनों के गैंगरेप और मर्डर केस में अखिलेश यादव सरकार को घेरने के लिए बीजेपी नेता बदायूं पहुंचे थे।
अखिलेश राज में ही यूपी के दादरी में अखलाख हत्याकांड हुआ था। जहां मांस खाने की अफ़वाह पर एक मुसलमान व्यक्ति को पीट-पीट कर मार डाला गया था। तब विपक्ष में बैठी बीजेपी ने इस मुद्दे को सड़क से लेकर संसद तक उठाया था। उस दौरान बीजेपी नेता कई बार दादरी गए थे।
यूपी के वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ ने तब मृतक अखलाख के परिवार को दिए गए पैसे और फ्लैट को वापस लेने की मांग की थी और 2017 विधानसभा चुनाव से पहले दादरी में चुनावी रैली भी की थी।
मथुरा का रामवृक्ष कांड तो आपको याद ही होगा। जब 280 एकड़ सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हटाने गई पुलिस टीम पर हमला हो गया था और इसमें एसपी और एसएचओ शहीद हो गए थे। इस मामले पर भी सियासी दलों ने अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकी थी।
पिछले साल पश्चिम बंगाल के भाटपारा में हिंसा के दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद इलाके का दौरा करने के लिए बीजेपी सांसदों का तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल वहां पहुंच गया।
ऐसा नहीं है कि देश की सियासत में पॉलिटिकल टूरिज्म या राजनीतिक पर्यटन कोई नया शब्द है। लेकिन सवाल उठता है कि विपक्ष में बैठी बीजेपी के लिए और सत्ता में बैठी बीजेपी के लिए राजनीतिक पर्यटन के अलग-अलग मायने क्यों हो जाते है।