विवेक कुमार श्रीवास्तव
लोकसभा चुनावों के बीच एक बार फिर सभी विपक्षी दल ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाने लगे हैं। मंगलवार को चल रहे तीसरे चरण के मतदान के बीच सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर देश भर से ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। वहीं पहले चरण के मतदान के बाद आन्ध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर निर्वाचन आयोग पहुंच गये थे।
कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने भी ईवीएम में गड़बड़ी का समर्थन किया था। सबने ये मांग की है कि पचास फीसदी मतदान पर्चियों का मिलान ईवीएम से कराया जाये।
ये वही चन्द्रबाबू नायडू हैं जिनकी पार्टी टीडीपी कुछ समय पहले तक केन्द्र की एनडीए सरकार का हिस्सा थी और लोकसभा चुनाव के पहले वो एनडीए से अलग हो गये थे। जब तक वो केन्द्र की सरकार में हिस्सेदारी बांट रहे थे तबतक ईवीएम ठीक काम कर रही थी मगर उनके अलग होते ही ईवीएम में अचानक गड़बड़ी हो गयी।
कांग्रेस ने अभी हाल में हुए विधानसभा चुनावों के पहले भी ईवीएम में गड़बड़ी का राग अलापा था मगर तीन राज्यों में जीत के बाद उन्हें ईवीएम में गड़बड़ी नहीं दिखी थी। अब लोकसभा चुनावों के दौरान ये गड़बड़ी फिर दिखने लगी।
अब अखिलेश यादव को भी ईवीएम में गड़बड़ी नज़र आने लगी। 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में जब सपा ने जबरदस्त जीत दर्ज करते हुए अपनी सरकार बनायी थी और अखिलेश यादव ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब उन्हें ईवीएम में गड़बड़ी नहीं दिखाई दी थी और सबकुछ ठीक-ठाक था।
2017 के विधानसभा चुनावों में जब बीजेपी ने प्रचण्ड जीत दर्ज कर सत्ता में आयी तब भी उन्हें ईवीएम में गड़बड़ी नज़र आने लगी थी। इस विधानसभा चुनावों के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने तो बाक़ायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया था।
आयोग ने दिया था खुला चैलेंज
यूपी विधानसभा चुनावों के बाद ईवीएम पर सवाल उठाये जाने पर निर्वाचन आयोग ने ईवीएम हैक करने का खुला चैलेंज दिया था। आयोग ने कहा था कि किसी भी राजनीतिक दल का कोई भी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और टेक्नीशियन ईवीएम को हैक कर सकता है। मगर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को छोड़कर किसी ने इस चुनौती को स्वीकार नहीं किया। वहीं इन दोनों दलों के प्रतिनिधियों ने भी ईवीएम को हैक करने में अक्षमता जाहिर की। खैर इतना तो सच है कि, ईवीएम पर लगे तमाम आरोपों के बावजूद आज तक कोई भी राजनीतिक दल ईवीएम हैकिंग का सुबूत नहीं दे सका है।
बीजेपी भी लगा चुकी है ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप
विरोधी दलों द्वारा ईवीएम पर उठाये जा रहे सवालों के बीच बीजेपी ने भले ही चुप्पी साध रखी हो मगर ईवीएम का विरोध करने वाली भी सबसे पहली पार्टी भी वही थी। 2009 के लोकसभा चुनावों में हार के बाद लाल कृष्ण आडवाणी ने ईवीएम पर प्रश्न चिन्ह लगाया था। इतना ही नहीं 2010 में बीजेपी नेता जीवीएल नरसिम्हा राव की किताब “Democracy At Risk! Can We Trust Our Electronic Voting Machines?”की प्रस्तावना भी आडवाणी ने ही लिखी थी। जिसमें उन्होंने जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों में ईवीएम पर बैन का ज़िक्र करते हुए भारत में भी ईवीएम पर बैन लगाने की वकालत की थी।
इतने देशों में होता है ईवीएम का इस्तेमाल
वर्तमान में विश्व के 24 देशों में ईवीएम का इस्तेमाल होता है। जिसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ, इटली, नॉर्वे, ब्राज़ील, बेल्जियम, वेनेजुएला जैसे देश शामिल हैं। हालांकि, अमेरिका जैसा हाईटेक देश में आज भी चुनावों में बैलट पेपर का प्रयोग होता है।
किन देशों में बैन
नीदरलैण्ड, आयरलैण्ड, जर्मनी, इटली, अमेरिका जैसे देशों में ईवीएम पर बैन है। आयरलैण्ड ने तो तीन साल की रिसर्च के बाद सुरक्षा और पारदर्शिता का हवाला देकर ईवीएम को बैन किया था। वहीं इंग्लैण्ड और फ्रांस जैसे देशों ने तो इनका इस्तेमाल तक ही नहीं किया।
भारतीय ईवीएम विश्व में सबसे सुरक्षित
रही भारत की बात तो चुनाव आयोग ये पहले ही कह चुका है कि भारतीय ईवीएम की तुलना दूसरे देशों के ईवीएम से नहीं की जा सकती। क्योंकि दूसरे देशों में पर्सनल कम्प्यूटर वाले ईवीएम इस्तेमाल होता है जो ऑपरेटिंग सिस्टम से चलता है। जबकि भारत में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम, एक स्वतंत्र मशीन होती है और वो किसी भी नेटवर्क से नहीं जुड़ा होता और न ही उसमें अलग से कोई इनपुट डाला जा सकता है।
आयोग के मुताबिक भारतीय ईवीएम मशीन के सॉफ्टवेयर चिप को केवल एक बार ही प्रोग्राम किया जा सकता है और इसे इस तरह बनाया जाता है कि एक बार बन जाने के बाद इस पर कुछ भी राइट करना सम्भव नहीं हो सकता।
इतना ही नहीं ईवीएम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी ये माना है कि भारतीय ईवीएम सबसे विश्वसनीय और सुरक्षित हैं। अब सवाल ये उठता है कि फिर सियासी दल लगातार क्यों ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं? आप उस समय कहां थे जब आयोग ने ईवीएम हैक करने का खुला चैलेंज दिया था।
आप उस समय जाकर ईवीएम को हैक कर दिखा सकते थे। अगर नहीं किया तो फिर ईवीएम में गड़बड़ी पर सवाल क्यों? वजह साफ है किसी तरह मतदाताओं को बरगलाना कि भाई हम तो जीत रहे थे मगर ईवीएम में गड़बड़ी की वजह से हार गये।
सच्चाई तो ये है कि ये सभी पार्टियां वो चाहे सपा हो, बसपा हो या फिर कांग्रेस जब तक चुनाव में जीत मिलती है तब तक ईवीएम ठीक और अगर हार मिली तो ठीकरा ईवीएम के सिर फोड़ दिया जाता है। जीत या हार किसी की भी हो फंसती है बेचारी ईवीएम ही।