जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. मोहर्रम के चार दिन बीत चुके हैं लेकिन अब तक उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कोई स्पष्ट गाइडलाइन सामने नहीं आई है. स्पष्ट गईलाइन न होने की वजह से सूबे के विभिन्न शहरों में पुलिस और शिया मुसलमानों के बीच टकराव के मामले सुनाई दे रहे हैं. जौनपुर के शाहगंज में जो हुआ उसने खाकी वर्दी पर एक और बदनुमा दाग लगा दिया. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के हस्तक्षेप और शहर की फिजा खराब करने के ज़िम्मेदार दरोगा को लाइन हाज़िर किये जाने के बाद शाहगंज में हालात कुछ सामान्य हुए हैं.
आल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना यासूब अब्बास ने मुम्बई से बताया कि उनके पास जौनपुर के अलावा आगरा और हरदोई से भी पुलिस और शिया नौजवानों के बीच टकराव की खबरें आई हैं. मौलाना ने कहा है कि पुलिस प्रशासन जान बूझकर शियों को तंग कर रहा है. ऐसे में योगी सरकार को फ़ौरन कोई स्पष्ट गाइडलाइन जारी करनी चाहिए.
यासूब अब्बास ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब यह कह दिया है कि मजलिस में 50 लोग शामिल हो सकते हैं तो फिर पुलिस किस आधार पर मजलिस में कोविड गाइडलाइंस का पालन करने वालों को परेशान कर रही है. उन्होंने बताया कि आगरा में हुई घटना की शिकायत आईजी नवीन अरोड़ा से की गई है. उनसे थानाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.
उन्होंने बताया कि जौनपुर और हरदोई में भी पुलिस की तानाशाही देखने को मिली है. मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि घरों में ताजिया रखने पर रोक जायज़ नहीं है तो फिर पुलिस किसी के घर में कैसे घुस सकती है. ताजिये की बेइज़्ज़्ती किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जायेगी.
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उन्होंने कहा कि मुम्बई आने से पहले मैं दिल्ली में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से भी मिला था. राजनाथ सिंह ने भी यह वादा किया था कि शियों को पुलिस गलत तरीके से परेशान नहीं करेगी. पुलिस के ज़ुल्म और तानाशाही की हद यह है कि मोहम्मद साहब के नवासे की शहादत का गम मनाने वालों पर ज़ुल्म कर रही है. सरकार को फ़ौरन पुलिस के लिए गाइडलाइन जारी करनी चाहिए.