जुबिली न्यूज डेस्क
प्रयागराज के महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर मची भगदड़ में कई लोगों की मौत हो गई थी और 60 से अधिक लोग घायल हो गए थे. इस घटना को हुए चार दिन बीत चुके हैं और लोग आज भी अपनों की खोज में अस्पताल से लेकर मोर्चरी तक के चक्कर लगा रहे हैं. इस बीच एक हैरान करने वाली तस्वीर देखने को मिली हैं, जहां शवों को नेचुरल मौत बताकर शव सौंपे जा रहे हैं.
कुंभ में मारे गए लोगों के परिवार से पुलिस लाश के बदले जबरन ये लिखवा रही है कि सामान्य मौत है और शव लेकर जा रहे हैं. एमपी के परिवार ने वो लेटर साझा किया है. इसी के जरिए मौत के आंकड़े छुपाए जा रहे हैं. भगदड़ में मारे गए लोगों को प्राकृतिक मौत बताकर शव सौंपे जा रहे हैं.
एक पीड़ित परिवार से पत्र पर जबरन लिखवाया गया कि 29 जनवरी को ग्वालियर से युवक कुंभ में बुआ के लड़के के साथ संगम पर स्नान करने के लिए आया था. वह महानिर्वाणी अखाड़ा में रुका हुआ था. वहीं पर अचानाक तबीयत खराब हुई और मृत्यु हो गई. सूचना जा रही है कि आवश्यक कार्यवाही करने की कृपा करें. युवक की मौत 29 जनवरी को हुई है.’
दरअसल, मंगलवार यानी 28 जनवरी को मौनी अमावस्या का मुहूर्त शुरू होने के साथ ही शाम 7.35 बजे से ही अमृत स्नान के लिए श्रद्धालुओं का संगम तट पर जमावड़ा शुरू हो गया था. बुधवार को सुबह 2 बजे तक संगम तट पर उमड़ी भीड़ जनसैलाब में तब्दील हो गई. सुबह 2 बजे तक सब कुछ योजना के अनुसार चल रहा था, लेकिन संगम तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और पवित्र स्नान करने वालों के लिए बाहर निकलने के लिए जगह ही नहीं बची. इसी बीच भगदड़ हो गई और मेला प्रशासन के लिए स्थिति संभालना मुश्किल हो गया.
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इस घटना में 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए. भगदड़ के बाद अखाड़ों का पारंपरिक स्नान अनुष्ठान अमृत स्नान स्थगित कर दिया गया, लेकिन दोपहर बाद इसे फिर से शुरू कर दिया गया. संगम और गंगा किनारे अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं का स्नान जारी रहा, हालांकि वहां भीड़ कम रही.