न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। नागरिकता क़ानून पर फिर सुलगा उत्तर प्रदेश। एक बार फिर नाकारा साबित हुई लखनऊ पुलिस। लखनऊ में हसनगंज थाना क्षेत्र की मदेयगंज पुलिस चौकी में तोड़फोड़। एक और पुलिस चौकी और गाड़ियों में लगाई आग। कई पत्रकारों को भी पीटा गया।
खदरा इलाक़े में भारी हंगामा। डीेएम के घर के सामने हज़ारों आदमी मैट्रो स्टेशन के आगे इकट्ठे। लखनऊ के हज़रतगंज से लेकर खदरा तक और पुराने लखनऊ में दंगाइयों ने खूब उत्पाद मचाया।
पुलिस की त्रिस्तरीय सुरक्षा की कहानी लखनऊ में तार-तार हो गयी। लेकिन यूपी पुलिस इन सब मामले से निपटने के लिए तैयार नहीं दिखी। हालांकि प्रशासन ने अफ़वाहों से सावधान रहने के लिए जरूर कहा। लखनऊ में अचानक फैली इस हिंसा से एक बात तो बिलकुल साफ़ हो गयी है कि यूपी पुलिस इससे निपटने के लिए बिलकुल तैयार नहीं थी।
हिंसा फैलाने वालो पर जब पुलिस हावी हुई तो वे और उग्र हो गए और परिवर्तन चौक पर बस समेत कई गाड़ियों में जमकर तोड़फोड़ के साथ आगजनी और पथराव किया गया। यही नहीं न्यूज चैनल की भी गाड़ियों में तोड़फोड़ के साथ लगायी गयी आग। हाथ में तिरंगा लेकर गाड़ियों में आग लगा रहे लोगों को रोकने में नाकामयाब दिखाई दिए।
दंगाइयों को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। वहीं मदेहगंज चौकी में चौकी के पास तोड़ फोड़ और आगजनी की गई है। हज़रतगंज में प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज की गई है। लेकिन बड़ी तो ये है कि पुलिस इन सब से अनजान कैसे थी?
बवाल को देखते हुए हज़रतगंज की सारी दुकाने हुई बन्द, साथ ही परिवर्तन चौक पर हालात ज्यादा खराब रहे। एक सिपाही के घायल होने के खबर है। कुल मिलाकर लखनऊ पुलिस हुई फेल।
पुलिस उपद्रवियों पर नही लगा सकी लगाम। सोशल मीडिया के ग्राउंड जीरो पर लखनऊ पुलिस हुई फेल। एलआईयू और यूपी पुलिस के ख़ुफ़िया तंत्र भी हुआ फेल। राजधानी में पुलिस मुखिया से लेकर कप्तान तक सब हुए फेल।
बवाल जब विधानसभा की ओर बढ़ने लगा तब जगे यूपी के पुलिस मुखिया और कमांडो लेकर मौके पर पहुंचे। तनाव के चलते सभी मेट्रो स्टेशन को किया गया बंद। इसी बीच गृह मंत्रालय ने राजधानी लखनऊ में हुई हिंसा पर हाइवोल्टेज बैठक बुलाई। हिंसा पर अमित शाह ने बैठक बुलाई।
उपद्रवियो ने दिखा दिया यूपी पुलिस के आका और राजधानी के कप्तान की मॉनिटरिंग को ठेंगा। खबर लिखे जाने तक पुराने लखनऊ में इंटरनेट बंद करने की तैयारी जिला प्रशासन ने कर ली थी, लेकिन अभी तक किया नहीं गया।
‘लॉ एंड ऑर्डर’ मेंटेन रखने के लिए लखनऊ में पांच अतिरिक्त एसपी, 10 सीओ, पीएसी की 12 कंपनियां और 500 सब-इंस्पेक्टरों की तैनाती की गई थी। पुलिस सोशल मीडिया पर भी नजर रखे हुए है और ऐसे पोस्टरों को हटवा रही है, जिसमें लोगों से विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की गई थी।
एडीजी एलओ मीडिया से बात करते हुए बताया कि 50 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। लखनऊ में सभी जगह पर सीनियर अधिकारी मौजूद है। स्थिति को लगातार कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनसे पूछताछ चल रही है।जो भी लोग इस हिंसा में दोषी पाए जाएंगे उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।